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    Australia Firing: बोंडी बीच का शूटर साजिद छह बार आया था हैदराबाद, क्या है वजह?

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 10:57 PM (IST)

    ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के बोंडी बीच पर हनुक्का उत्सव के दौरान यहूदियों पर हमला करने वाला साजिद अकरम हैदराबाद का रहने वाला था और उसने 1998 के बाद छह बार ...और पढ़ें

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    बोंडी बीच का शूटर साजिद छह बार आया था हैदराबाद।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया में सिडनी के बोंडी बीच पर रविवार को हनुक्का उत्सव मनाने के दौरान यहूदियों पर आतंकी हमला हुआ था। पिता-पुत्र साजिद अकरम और नवीद अकरम ने इसे अंजाम दिया था। साजिद हैदराबाद का रहने वाला था, जबकि उसका बेटा ऑस्ट्रेलिया में जन्मा था।

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    तेलंगाना के डीजीपी शिवाधार रेड्डी ने शुक्रवार को बताया कि 1998 में भारत छोड़ने के बाद साजिद ने छह बार हैदराबाद की यात्रा की थी। तेलंगाना पुलिस ने साजिद के भारतीय पासपोर्ट में उल्लेखित पता हैदराबाद में मिलने के बाद जांच शुरू की।

    जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि साजिद का जन्म हैदराबाद में हुआ था और 1998 में शिक्षा व रोजगार के लिए विदेश जाने के बाद पहली बार अक्टूबर 2000 में शहर आया था। उसकी यूरोपीय पत्नी भी साथ आई थी।

    डीपीपी ने बताया कि इसके बाद उसने 2004 और फिर फरवरी 2009 में अपने पिता की मृत्यु के बाद हैदराबाद का दौरा किया था। हालांकि उसकी यह यात्रा अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए नहीं थी। साजिद ने जुलाई 2012 और मार्च 2016 में अपने पारिवार के सदस्यों में संपत्ति संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए हैदराबाद आया था।

    रेड्डी ने पत्रकारों से कहा, 'उसकी अंतिम यात्रा जुलाई 2022 में हुई थी। उसने अपनी मां और बहन से मिलने के लिए यह यात्रा की थी। हैदराबाद से उसके संबंध के बारे में हमारे पास यही जानकारी है। हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जिससे यह जाहिर हो कि उसमें कट्टरता या इस संबंध में शहर का कोई जुड़ाव था।'

    बोंडी बीच पर हमले में 15 लोगों की मौत हुई थी और 40 लोग घायल हुए, जिनमें भारतीय छात्र भी हैं। सिडनी निवासी 50 वर्षीय साजिद को मार गिराया गया था, जबकि आस्ट्रेलिया में जन्मा उसका 24 वर्षीय बेटा नवीद घायल हो गया।

    ऑस्ट्रेलिया में बंदूक कम करने के लिए शुरू होगी स्कीम

    ऑस्ट्रेलिया में बोंडी बीच फायरिंग के बाद बंदूक को लेकर सख्ती शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने शुक्रवार को बताया कि बंदूकों की संख्या कम करने के लिए एक नेशनल फायरआर्म बायबैक स्कीम शुरू की जाएगी।

    ऑस्ट्रेलिया में बंदूक संबंधी कानून में अंतिम संशोधन 1996 में किया गया था। तब तस्मानिया के पोर्ट आर्थर में हुए नरसंहार के बाद यह कदम उठाया गया था। एक बंदूकधारी ने 35 लोगों को मार डाला था। उस समय भी बंदूक को लेकर इसी तरह की स्कीम शुरू की गई थी। उस समय देशभर में करीब 6.40 लाख प्रतिबंधित हथियार सरेंडर किए गए थे।

    ऑस्ट्रेलिया में इस समय लोगों के पास अनुमानित 40 लाख से ज्यादा हथियार हैं। इस बीच, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने 21 दिसंबर को बोंडी बीच पर आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लोगों का याद करने और यहूदी समुदाय के प्रति एकजुटता दिखाने का दिन घोषित किया है।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)