Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    40 और कोयला ब्लाक की नीलामी प्रक्रिया हुई शुरू, आवंटन के बाद समझौते में जोड़ें जाएंगे कई नए नियम

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Tue, 12 Oct 2021 10:19 PM (IST)

    कोयला मंत्रालय ने बताया कि आवंटन के बाद होने वाले समझौते में कई नए नियम जोड़े जाएंगे। इनमें खनन संचालन से लेकर खान बंद करने कोयला निकालने में नई तकनीक के उपयोग और खनन में कठिनाई होने पर उसे वापस लौटाने के नियम शामिल हैं।

    Hero Image
    कुल 88 कोयला ब्लाकों की नीलामी होगी, 48 को कोई खरीदार नहीं मिला था

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में बिजली संकट के बीच कोयला मंत्रालय ने मंगलवार को 40 नए कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की है। कोयला ब्लाक की नीलामी का यह तीसरा चरण होगा। पहले दो चरणों में 28 ब्लाक की सफलतापूर्वक नीलामी हो चुकी है। कोयला मंत्रालय का कहना है कि कुल 88 कोयला ब्लाकों की नीलामी होगी। इसमें से 48 ब्लाक को कोई खरीदार नहीं मिला था। सरकारी एजेंसियों के सर्वे के मुताबिक इन 88 कोयला ब्लाकों में 5.50 करोड़ टन कोयला हो सकता है। ये ब्लाक झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रेदश, महाराष्ट्र, बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश व असम में स्थित हैं। सरकार का कहना है कि अगर सभी 88 ब्लाक का आवंटन हो गया तो इससे देश में 3.81 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोयला मंत्रालय ने बताया कि आवंटन के बाद होने वाले समझौते में कई नए नियम जोड़े जाएंगे। इनमें खनन संचालन से लेकर खान बंद करने, कोयला निकालने में नई तकनीक के उपयोग और खनन में कठिनाई होने पर उसे वापस लौटाने के नियम शामिल हैं। संरक्षित स्थलों जैसे अभयारण्य या 40 फीसद से ज्यादा वन क्षेत्र वाले स्थलों में शामिल कोयला खदानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। सरकार ने दूसरे उद्योग क्षेत्रों की तरह यहां भी ईज आफ डूइंग बिजनेस का ध्यान रखा है। नीलामी प्रक्रिया में वे कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं जिनका पहले से कोयला खनन का कोई अनुभव नहीं हो। साथ ही कंपनियों को खनन से निकाले गये कोयले के उपयोग को लेकर भी पूरी छूट होगी।

    इस अवसर पर कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि देश में बिजली की मांग हाल के महीनों में काफी तेजी से बढ़ने की वजह से कोयला की समस्या पैदा हुई है। कोविड महामारी की शुरुआत से पहले से तुलना की तुलना में बिजली की मांग 20 फीसद बढ़ चुकी है। कोयला की मांग आने वाले 35-40 वर्षो तक महत्वपूर्ण बनी रहेगी।