चंद्रमा के प्रति बढ़ा कई देशों का आकर्षण, नासा के मिशन में चांद पर जाएगी विश्व की पहली महिला
भारत के चंद्रयान-2 मिशन के लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भारत 2023 की पहली तिमाही में चंद्रयान-3 मिशन के तहत दोबारा लैंडर और रोवर को चांद पर भेजने की योजना बना रहा है। दक्षिण कोरिया भी अगले महीने चांद की ओर अपना पहला ‘कोरिया पाथफाइंडर लूनर आर्बिटर मिशन’ भेजेगा।

नई दिल्ली, प्रदीप। आर्टेमिस मिशन के जरिये अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा मानव को एक बार फिर चांद पर उतारने की योजना बना रहा है। हाल ही में अपोलो-11 चंद्र लैंडिंग की 53वीं वर्षगांठ के अवसर पर नासा के एक्सप्लोरेशन सिस्टम डेवलपमेंट मिशन निदेशालय के सह-प्रशासक जिम फ्री ने कहा कि आर्टेमिस-1 मेगा मून राकेट 29 अगस्त के बाद लांच किया जा सकता है। यह मानव रहित मिशन होगा। यह मिशन आर्टेमिस कार्यक्रम के प्रारंभिक परीक्षण के रूप में चांद पर जाएगा और फिर धरती पर लौट आएगा। इस मिशन के जरिये नासा 2025 तक मनुष्यों को एक बार फिर चांद पर उतारने के अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहता है। इस मिशन के तहत एक महिला भी चांद पर जाएगी, जो चांद पर जाने वाली विश्व की पहली महिला बनेगी।
आर्टेमिस मिशन इस दशक का सबसे खास और महत्वपूर्ण मिशन होने जा रहा है जो अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगा। नासा का कहना है कि भले ही यह मिशन चांद से शुरू होगा, पर यह निकट भविष्य के मंगल अभियानों के लिए भी वरदान सिद्ध होगा, क्योंकि चांद पर जाना, मंगल पर पहुंचने से पहले आने वाला एक अहम पड़ाव है।
दरअसल, नासा चांद को मंगल पर जाने के लिए एक लांच पैड की तरह इस्तेमाल करना चाहता है।चांद पर जाने की होड़ एक नए सिरे से शुरू हो चुकी है। जो भी देश चांद पर सबसे पहले कब्जा करेगा, उसका अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दबदबा बढ़ेगा। चंद्रमा की दुर्लभ खनिज संपदा, खासकर हीलियम-3 ने भी इसे सबका चहेता बना दिया है। अमेरिका के अलावा रूस, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत भी 2022-23 में अपने चंद्र अन्वेषण यान चांद की ओर भेजने वाले हैं। कई निजी कंपनियां भी चांद पर सामान व उपकरण पहुंचाने और प्रयोगों को गति देने के उद्देश्य से सरकारी स्पेस एजेंसियों का ठेका हासिल करने की कतार में खड़ी हैं।
वर्ष 2019 में भारत के चंद्रयान-2 मिशन के लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, भारत 2023 की पहली तिमाही में चंद्रयान-3 मिशन के तहत दोबारा लैंडर और रोवर को चांद पर भेजने की योजना बना रहा है। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान मिले सबक के आधार पर चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी की गई है। इसमें विशेष रूप से डिजाइन, क्षमता बढ़ाने सहित अन्य तकनीकी बातों का ध्यान रखा गया है।
दक्षिण कोरिया भी अगले महीने चांद की ओर अपना पहला ‘कोरिया पाथफाइंडर लूनर आर्बिटर मिशन’ भेजेगा। यह आर्बिटर चंद्रमा की भौगोलिक और रासायनिक संरचना का अध्ययन करेगा। इसी साल रूस भी अपने स्वदेशी लैंडर लूना-25 को चांद की सतह पर उतारने की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस रुझान से स्पष्ट है कि चांद पर जाने की तैयारी में विभिन्न देशों की सरकारी और निजी स्पेस एजेंसियां पूरे दमखम के साथ जुटी हुई हैं।
(लेखक विज्ञान के जानकार हैं)
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