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    अटार्नी जनरल ने न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम 2021 का किया बचाव, कहा- शीर्ष अदालत कई बार अपने फैसलों से नीतिगत मामलों में देती है दखल

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Thu, 05 May 2022 04:31 AM (IST)

    अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में 2021 के न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम का जोरदार तरीके से बचाव किया। उन्होंने कहा कि कई बार शीर्ष अदालत अपने निर्णयों से नीतिगत क्षेत्र में दखल दे देती है। उसे शक्तियों के विभाजन को ध्यान में रखना चाहिए।

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    अटार्नी जनरल ने न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम 2021 का किया बचाव

    नई दिल्ली, प्रेट्र: अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में 2021 के न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम का जोरदार तरीके से बचाव किया। उन्होंने कहा कि कई बार शीर्ष अदालत अपने निर्णयों से नीतिगत क्षेत्र में दखल दे देती है। उसे शक्तियों के विभाजन को ध्यान में रखना चाहिए।

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    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ के समक्ष अटार्नी जनरल केंद्र का पक्ष रख रहे थे। उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले उसके न्यायिक अधिकार से बाहर चले गए हैं। हमने कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है, फिर भी कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया। अक्सर अदालत नीतिगत फैसला देती रहती है और विधायिका से कहती है कि ऐसे-ऐसे कानून बनाओ। शक्तियों का विभाजन है और इसे ध्यान में रखना चाहिए।'

    अटार्नी जनरल वरिष्ठ वकील अरविंद दतार द्वारा दी गई दलील का जवाब दे रहे थे। दतार ने कहा था कि पिछले साल अध्यादेश के प्रविधानों को रद करने के बावजूद केंद्र एक अधिनियम लेकर आया है जिसमें उसी तरह के प्रविधान हैं जिन्हें जस्टिस एलएन राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने खारिज कर दिया था। वेणुगोपाल ने कहा कि पिछले साल 14 जुलाई को शीर्ष अदालत ने 2:1 से न्यायाधिकरण सुधार (युक्तीकरण एवं सेवा शर्ते) अध्यादेश, 2021 को बरकरार रखा था, लेकिन चेयरपरसन, वाइस-चेयरपरसन और न्यायाधिकरण के अन्य सदस्यों की सेवाओं से संबंधित कुछ शर्तो को असंवैधानिक बताया था।

    दतार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को प्रविधानों को रद किया और 28 जुलाई को समान प्रविधानों के साथ केंद्र नया अधिनियम ले आया। जबकि इस अदालत के फैसले हैं जो कहते हैं कि फैसले के आधार को हटाए बिना कानून नहीं लाया जा सकता है। इस पर पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा कि क्या अधिनियम में वही प्रविधान हैं जो अध्यादेश में थे। इस पर जवाब देने के लिए अटार्नी जनरल ने कुछ समय मांगा, जिस पर पीठ ने अवकाश के बाद जुलाई में इस मामले में दलीलें सुनने की बात कही। पीठ ने न्यायाधिकरण में नियुक्ति से संबंधित कुछ आवेदनों के मामलों पर सुनवाई कर रही है।