अगर आप भी अस्थमा से पीडि़त तो हो जाएं सावधान, हो सकती है मोटापे की समस्या
अध्ययन में एक भारतवंशी समेत वैज्ञानिकों के दल ने पाया है कि सांस संबंधी इस रोग के चलते मोटापे का भी खतरा हो सकता है। यह निष्कर्ष 8,618 लोगों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है।
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। यह पहले से जाहिर है कि मोटापे से अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है। अब एक नए अध्ययन में एक भारतवंशी समेत वैज्ञानिकों के दल ने पाया है कि सांस संबंधी इस रोग के चलते मोटापे का भी खतरा हो सकता है। यह निष्कर्ष 8,618 लोगों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, वयस्क उम्र में अस्थमा की चपेट में आने वाले लोगों और गैर-एलर्जी अस्थमा पीड़ितों में मोटापे का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। स्पेन के बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ता सुभब्रत मोइत्र ने कहा, ‘हम यह पहले से जानते हैं कि अस्थमा के लिए मोटापा कारण बन सकता है।’ हालांकि शोधकर्ता अभी यह कारण जान नहीं पाए हैं कि अस्थमा से किस तरह मोटापे का खतरा बढ़ सकता है?
आपको बता दें कि अस्थमा श्वास तंत्र की बीमारी है जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। श्वास मार्ग में सूजन आ जाने के कारण समस्या विकराल रूप धारण करती है। इस कारण छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है। छाती मे कसाव जैसा महसूस होता है, सांस फूलने लगती है और बार-बार खांसी आती है। इसकी सबसे बड़ी वजह खेतों में फसल व पराली को आग से लगातार बढ़ रहा प्रदूषण है। नवजात बच्चों में भी अस्थमा के मामले सामने आने से समस्या गंभीर होने लगी है। पिछले डेढ़ दशक में अस्थमा की बीमारी में 50 फीसद वृद्धि हुई है।
बच्चों में स्ट्रेस भी बढ़ा रहा अस्थमा
डाक्टरों के मुताबिक छोटे बच्चों में डर और स्ट्रेस का बढ़ता स्तर उन्हें अस्थमा के मुंह धकेलता है। स्ट्रेस की वजह से हार्मोन गड़बड़ाने की वजह से उनके फेफड़े व श्वास तंत्र की नाड़ियां सिकुड़ जाती हैं, जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कतें होती है। एक सर्वे में पूरे देश में 21 फीसदी बच्चों को खांसी की समस्या सामने आई है।
एक वजह यह भी
गाड़ियों में प्रयोग किए जाने वाला डीजल पर्यावरण के लिए पेट्रोल से अधिक हानिकारक है। डीजल जलने के बाद प्रदूषण फैलाने वाले पदार्थों और कार्बन का उत्सर्जन अधिक मात्रा में होता है। शोध में यह भी सामने आया कि मुख्य सड़क से 200 मीटर की दूरी पर रहने वाले लोगों में अस्थमा का खतरा सड़क से और दूर रहने वाले लोगों के मुकाबले 50 फीसद तक अधिक होता है।
विटामिन डी का सप्लीमेंट कारगर
विशेषज्ञों ने बताया कि दवा के साथ विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने से अस्थमा अटैक के खतरे को पचास फीसद तक कम किया जा सकता है। विटामिन डी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जिसके कारण श्वसन तंत्र को संक्रमित करने वाले वायरस ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाते। साथ ही सांस के जरिये शरीर में पहुंचने वाले हानिकारक पदार्थों का दुष्प्रभाव भी कम हो जाता है। वायु प्रदूषण और एलर्जी के चलते अस्थमा की शिकायत लगातार बढ़ती जा रही है। ताजा शोध की मदद से भविष्य में इससे निपटना आसान हो सकता है।
इन्हेलर लेना भी सही
अस्थमा के मरीजों के लिए इन्हेलर से ब्रांको डायलेटर दवा लेना सर्वोत्तम प्राथमिक उपचार है। उन्होंने कहा कि इसकी कोई आदत नहीं बनती है, मुंह से दवा लेने के बजाय इसके माध्यम से दवा लेना ज्यादा फायदेमंद है। वजह गोली खाने पर वह रक्त के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचती है और दूसरे अंगों को भी प्रभावित करती है, जबकि इन्हेलर से दवा लेने पर वह सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है और जल्दी आराम भी पहुंचाती है।
ये है घरेलू उपचार
एक लीटर पानी में दो बड़ा चम्मच मेथी के दाने डालकर आधा घंटे तक उबालें। इसके बाद इसको छान लें। दो बड़े चम्मच अदरक की पेस्ट का रस निकाल कर मेथी के पानी में डालें। इसके बाद एक चम्मच शुद्ध शहद इस मिश्रण में डालकर अच्छी तरह से मिला लें। दमा के रोगी को यह मिश्रण प्रतिदिन सुबह पीना चाहिए।
अस्थमा से बचाव को ये बरतें सावधानियां
पालतू जानवर आपके लिविंग रूम या बेडरूम में न आएं।
बिल्ली और कुत्तों को सप्ताह में दो बार नहलाने से मदद मिल सकती है।
घर के सभी हिस्से बार-बार वैक्यूम क्लीन करें।
बिस्तर से सभी सॉफ्ट खिलौने हटा दें। उन्हें हर दो सप्ताह में धोएं और धूप में सुखाएं।
बेड शीट्स, बेड कवर और तकिया के कवर्स को सप्ताह में एक बार गर्म पानी से धोएं।
सोफा को एंटी-हाउस-डस्ट माइट केमिकल्स से साफ करें।
ठंडी के मौसम में नाक और मुंह को स्कार्फ से ढंकना श्रेष्ठ होता है।
तेज हवा के दौरान खिड़कियां बंद करके घर में ही रहें।
गर्मियों के दौरान एयर कंडीशनर्स का उपयोग करें।
जब हवा सर्द या खुश्क हो तब बाहर व्यायाम करना टालें।
किशोरावस्था में धूम्रपान से दमे का खतरा अधिक है।
घर में अपने बच्चों के आसपास या गर्भवस्था के दौरान धूम्रपान दमा का जोखिम बढ़ाता है।
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