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    एनआरसी में घुसपैठियों के नाम शामिल करने पर शिकायत, गैर सरकारी संगठन ने लगाए गंभीर आरोप

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Wed, 23 Jun 2021 11:37 PM (IST)

    गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक व‌र्क्स (एपीडब्ल्यू) ने अब राज्य खुफिया विभाग सीआइडी से एनआरसी के पूर्व राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला के खिलाफ शिकायत की है। ...और पढ़ें

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    एपीडब्ल्यू ने अब राज्य खुफिया विभाग सीआइडी से एनआरसी के पूर्व राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला के खिलाफ शिकायत की है।

    गुवाहाटी, पीटीआइ। गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक व‌र्क्स (एपीडब्ल्यू) ने अब राज्य खुफिया विभाग सीआइडी से एनआरसी के पूर्व राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला के खिलाफ शिकायत की है। कहा है कि हजेला ने नई सूचनाएं जोड़ने की प्रक्रिया में एनआरसी में कुछ घुसपैठियों के नाम भी शामिल कर दिए हैं। एपीडब्ल्यू ने ही सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजेंस) को अपग्रेड करने के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।

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    एनआरसी असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों से संबंधित दस्तावेज है जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तैयार किया गया है। यह दस्तावेज 31 अगस्त, 2019 को सार्वजनिक हो चुका है। लेकिन इसमें शामिल होने के लिए 19 लाख लोगों के आवेदन पत्र अभी लंबित हैं। भारत के महापंजीयक ने इस दस्तावेज की अधिसूचना अभी जारी नहीं की है।

    हजेला 1995 बैच के असम-मेघालय कैडर के आइएएस अधिकारी हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एनआरसी का राज्य समन्वयक नियुक्त किया था। लेकिन नागरिकता तय करने की प्रक्रिया को लेकर हजेला और उनके सहायकों पर कई आरोप लगे। ताजा शिकायत में कहा गया है कि हजेला और उनके सहायकों ने घुसपैठ करने वाले तत्वों के साथ मिलकर एनआरसी में अपात्र लोगों के नाम शामिल कर दिए हैं।

    शिकायत में कहा गया है कि ऐसा घुसपैठ करने वाले परिवारों से संबधित अधिकारियों, डाटा एंट्री ऑपरेटरों, अल्पसंख्यक नेताओं और राष्ट्रविरोधी तत्वों की मिलीभगत से हुआ। एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत सरमा ने सीआइडी के अतिरिक्त महानिदेशक को यह शिकायत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में हजेला का स्थानांतरण उनके गृह राज्य मध्य प्रदेश कर दिया है।

    उल्‍लेखनीय है कि बीते दिनों हिमंता विश्व सरमा ने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मसले पर कहा था कि उनकी सरकार राज्य के सीमावर्ती जिलों में 20 फीसद और अन्य क्षेत्रों के 10 फीसद नामों का पुन: सत्यापन कराना चाहती है। अगर त्रुटियां नगण्य हुईं तो हम वर्तमान एनआरसी के साथ आगे बढ़ सकते हैं लेकिन अधिक विसंगतियां हुईं तो उन्हें उम्मीद है कि अदालत संज्ञान लेगी और नए दृष्टिकोण के साथ जो आवश्यक होगा वह करेगी।