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    सार्वजनिक होगी असम में 1983 के नेल्ली नरसंहार रिपोर्ट, राज्य में शांति भंग होने आशंका

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    असम सरकार 1983 के नेल्ली नरसंहार की रिपोर्ट सार्वजनिक करने जा रही है। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से राज्य में शांति भंग होने की आशंका जताई जा रही है। सरकार को डर है कि रिपोर्ट के खुलासे से समुदायों के बीच तनाव बढ़ सकता है, जिससे अशांति फैल सकती है।

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    हिमंता बिस्वा सरमा। (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। असम सरकार की ओर से 1983 के नेल्ली नरसंहार पर टीपी तिवारी आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की घोषणा के दो दिन बाद शनिवार को विभिन्न वर्गों के लोगों ने आशंका व्यक्त की कि इस कदम से राज्य के विभिन्न समुदायों के बीच शांति भंग हो सकती है।

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    मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को बताया था कि राज्य मंत्रिमंडल ने नवंबर में अगले विधानसभा सत्र में तिवारी आयोग की रिपोर्ट पेश करने का फैसला किया है। घुसपैठ के विरुद्ध 1979 से 1985 तक असम आंदोलन के दौरान 18 फरवरी, 1983 में नेल्ली (मोरीगांव में) नरसंहार हुआ था। इसमें एक ही रात में 2,100 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर बांग्ला भाषी मुसलमान थे।

    1983 के नेल्ली नरसंहार पर रिपोर्ट सार्वजनिक की गई

    14 जुलाई, 1983 को असम सरकार ने टीपी. तिवारी के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया था। आयोग ने 551 पृष्ठों की रिपोर्ट मई, 1984 में तत्कालीन हितेश्वर सैकिया सरकार को सौंपी थी, लेकिन उसे कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।

    विपक्ष ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर उठाए सवाल

    विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने कहा, ''मुझे समझ नहीं आता कि घटना के लगभग 43 वर्षों बाद इतनी पुरानी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों की जा रही है। जब जख्म भर चुके हैं, तो अब उन्हें क्यों कुरेदा जा रहा है? क्या यह विधानसभा चुनाव से पहले लोगों को भड़काने के लिए किया जा रहा है? लगता है कि मुख्यमंत्री जुबीन गर्ग की मौत के बाद सभी जातियों और धर्मों के लोगों के एकजुट होने से निराश हैं। सभी समुदायों के लोग उनके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और गर्ग की विचारधारा के प्रति निष्ठा दिखा रहे हैं, जो सांप्रदायिकता के विरुद्ध थी।''

    रिपोर्ट पर चर्चा से गर्ग के मामले से ध्यान भटक सकता है- बरुआ

    इस नरसंहार पर फिल्म बनाने वाले पार्थजीत बरुआ ने कहा कि ऐसे समय जब पूरा राज्य जुबीन गर्ग की मौत पर शोक मना रहा है, यह रिपोर्ट सार्वजनिक करना आश्चर्यजनक और निराशाजनक है। सरकार पहले गर्ग की मौत की सच्चाई पता लगाए। इस रिपोर्ट पर चर्चा से गर्ग के मामले से ध्यान भटक सकता है।

    हांडिक ग‌र्ल्स कालेज की सहायक प्रोफेसर (राजनीति विज्ञान) पल्लवी डेका ने कहा कि नेल्ली नरसंहार असम की राजनीति में आज भी प्रासंगिक है। यह फैसला उसी का परिणाम है। गर्ग की मौत के बाद के घटनाक्रम और इस फैसले का एक साथ विश्लेषण करने की जरूरत है। सरकार का समर्थन करते हुए अखिल असम छात्र संघ के अध्यक्ष उत्पल सरमा ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज को इतने लंबे समय तक गुप्त रखना गलत था। हम इस रिपोर्ट के कारण गर्ग को न्याय दिलाने की मांग को भटकने नहीं देंगे।


    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट साथ)