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    असम फायरिंग मामले में न्यायिक जांच के आदेश, पूर्व न्यायाधीश को सौंपी गई जिम्मेदारी

    दरंग के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुशांत बिस्वा सरमा ने कहा कि मौके पर मौजूद लोगों ने पथराव किया और पुलिसकर्मियों पर हमला किया। उन्होंने आगे कहा कि घटना में नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए। राज्य सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

    By Neel RajputEdited By: Updated: Fri, 24 Sep 2021 10:22 AM (IST)
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    पूर्व न्यायधीश की अध्यक्षता में होगी असम फायरिंग मामले की जांच

    दिसपुर, एएनआइ। असम सरकार ने दरांग जिले में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान ढालपुर में हुई गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। इस घटना में दो लोगों की मृत्यु हो गई थी और कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

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    आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, जांच गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में की जाएगी।

    अधिसूचना में कहा गया है कि असम  सरकार ने दरांग जिले के सिपाझार राजस्व मंडल के ढालपुर इलाके में हुई गोलीबारी की घटना में दो नागरिकों की मौत और पुलिस कर्मियों सहित कई अन्य लोगों के घायल होने की परिस्थितियों की जांच करने का फैसला किया है।' असम के दरांग जिले के सिपाझार में गुरुवार को अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान हिंसा भड़क गई। इस मामले में असम कांग्रेस ने राज्यपाल को पत्र भी लिखा है और राज्य सरकार पर सवाल खड़े किए हैंं।

    दरांग के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुशांत बिस्वा सरमा ने कहा कि मौके पर मौजूद लोगों ने पथराव किया और पुलिसकर्मियों पर हमला किया। उन्होंने आगे कहा कि घटना में नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए।

    बता दें कि असम के दरांग जिले के ढोलपुर में गुरुवार को पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस घटना में कम से कम दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है जबकि 20 लोग घायल हुए हैं। घायलों में ज्‍यादातर पुलिसकर्मी शामिल हैं। अधिकारियों के मुताबिक, पुलिसकर्मियों ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए फायरिंग की थी।

    रिपोर्ट के मुताबिक, कई लोग असम के दरांग जिला प्रशासन की ओर से बेदखल किए गए 800 परिवारों के पुनर्वास की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस बल के बीच अचानक झड़प शुरू हो गई। बाद में बल की ओर से की गई फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई जबकि कम से कम 20 अन्य घायल हो गए। यह प्रदर्शन सिपझार में शुरू हुआ था। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि बेदखली को रोका जाए और उन्हें एक व्यापक पुनर्वास पैकेज प्रदान किया जाए।