Move to Jagran APP

बुलडोजर कार्रवाई पर असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, तीन हफ्ते में मांगा जवाब; 47 लोगों ने दाखिल की याचिका

Supreme Court News सुप्रीम कोर्ट ने 47 घरों पर बुलडोजर कार्रवाई करने पर असम सरकार को अवमानना नोटिस जारी किया है। सरकार को तीन हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करना होगा। सरकार की कार्रवाई के खिलाफ असम के 47 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि बुलडोजर एक्शन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 30 Sep 2024 03:41 PM (IST)
Hero Image
असम सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को असम सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। असम के सोनापुर के रहने वाले 47 लोगों ने देश की शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दाखिल की है।

यह भी पढ़ें: 'विधवा के मेकअप पर पटना हाईकोर्ट की टिप्पणी अत्यधिक आपत्तिजनक', सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

तीन सप्ताह में देना होगा जवाब

सोमवार को जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई की। अब असम सरकार को तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करना होगा। याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उनके निर्माण को ढहाया गया है। इस दौरान अधिकारियों ने कानूनी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। याचिकाकर्ताओं ने बुलडोजर कार्रवाई को अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी बताया।

इस वजह से की कई थी कार्रवाई

असम सरकार ने आदिवासी जमीन पर अवैध अतिक्रमण बताते हुए कामरूप जिले कचुटोली पाथर गांव व अन्य जगह पर 47 घरों में तोड़फोड़ की थी। हालांकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने वास्तविक भूमिधारकों के साथ समझौतों के तहत दशकों से यहां रह रहे हैं। समझौते के मुताबिक उनका कब्जा भी वैध है।

बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक

बता दें कि 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना अदालत के अनुमति के कोई भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि उसका यह आदेश फुटपाथ, रेलवे और अवैध अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा।

यह भी पढ़ें: राजनीतिक बंदिशों से नहीं उबरे तो स्पीकरों के लिए लक्ष्मण रेखा तय करेंगी अदालतें, तेलंगाना HC ने अपने फैसले से कर दिया साफ