छात्रा ने शादी के प्रपोजल को किया इनकार, तो शख्स ने उतारा मौत के घाट; कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
असम के धेमाजी में 2021 में एक कॉलेज छात्रा की हत्या के मामले में अदालत ने आरोपी रिंटू सरमा को मौत की सजा सुनाई। सरमा ने छात्रा नंदिता को शादी का प्रस्ताव दिया था जिसे उसने ठुकरा दिया था। गुस्से में आकर सरमा ने नंदिता पर चाकू से हमला किया जिससे उसकी मौत हो गई। अदालत ने इसे दुर्लभतम मामला माना और फांसी की सजा सुनाई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वोत्तर राज्य असम के धेमाजी की एक अदालत ने गुरुवार को 2021 में एक कॉलेज की छात्रा की नृशंस हत्या के लिए एक शख्स को मौत की सजा सुनाई। बताया जा रहा है कि शख्स ने शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर महिला की हत्या कर दी थी।
दरअसल, धेमाजी मोरिधल कॉलेज के एक कर्मचारी पर आरोप था कि वह उसने 21 अगस्त 2021 को धेमाजी में असम राज्य परिवहन निगम बस स्टैंड के पास नंदिता पर चाकू से कई बार वार किया था। जिसके कारण उसकी मौत हो गई थी। इसी हत्या के मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
शादी के प्रस्ताव पर छात्रा ने किया था इनकार
बताया जा रहा है कि इस कर्मचारी ने नंदिता को शादी के लिए प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को कॉलेज की छात्रा ने अस्वीकार कर दिया था। जिसके बाद गुस्से में आकर शख्स ने छात्रा पर चाकू से कई बार वार कर दिया। जिसके कारण नंदिता गंभीर रूप से घायल हो गई। हमले के कुछ दिन बाद नंदिता की इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
छात्रा के अलावा इन लोगों को भी सरमा ने बनाया निशाना
बता दें कि इस हमले के दौरान सरमा ने न केवल छात्रा को निशाना बनाया, बल्कि उसके हमले में एक अन्य छात्रा, कश्मीन दत्ता और उसके पिता देबा दत्ता गंभीर रूप से घायल हो गए। बता दें कि बाद में सरमा ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
चार साल बाद आया फैसला
इस पूरे मामले में चार साल तक सुनवाई चली। कार्यवाही के दौरान पुलिस ने कुल 400 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। अभियोजन पक्ष ने कुल 41 गवाहों से पूछताछ की थी।
अब इस मामले में बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश कल्याणजीक सैकिया ने सरमा को भारतीय दंड संहिका की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया।
कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
कोर्ट ने रिंटू सरमा को इस मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने कहा कि मामला निश्चित रूप से दुर्लभतम श्रेणी में आता है और यदि आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, तो यह पर्याप्त नहीं होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोषी को आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा सुनाई जाती है और उसे तब तक फांसी पर लटकाया जाएगा।
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