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    कुपोषित बच्चों की पहचान करेंगी आशा वर्कर्स, 42 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों को मिली जिम्मेदारी; प्रोटोकॉल जारी

    By Jagran NewsEdited By: Prince Sharma
    Updated: Wed, 11 Oct 2023 06:45 AM (IST)

    केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने मंगलवार को प्रोटोकाल की शुरुआत की। प्रोटोकाल के अनुसार बिना चिकित्सीय जटिलताओं वाले गंभीर तीव्र कुपोषित (एसएएम) बच्चों का प्रबंधन पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) के बजाय आंगनवाड़ी केंद्रों में किया जाएगा। बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि 42000 मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को आंगनवाड़ी केंद्रों में बदल दिया गया है।

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    कुपोषित बच्चों की पहचान करेंगी आशा वर्कर्स, 42 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों को मिली जिम्मेदारी; प्रोटोकॉल जारी

    पीटीआई, नई दिल्ली।आंगनवाड़ी स्तर पर कुपोषित बच्चों की पहचान, प्रबंधन के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने मंगलवार को प्रोटोकाल की शुरुआत की। प्रोटोकाल के अनुसार बिना चिकित्सीय जटिलताओं वाले गंभीर तीव्र कुपोषित (एसएएम) बच्चों का प्रबंधन पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) के बजाय आंगनवाड़ी केंद्रों में किया जाएगा।

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    42 हजार आंगनवाड़ी केंद्र संभालेंगे जिम्मेदारी

    चिकित्सीय जटिलताओं वाले बाइलेटरल पिटिंग एडिमा से पीड़ित एसएएम बच्चों का प्रबंधन एनआरसी में किया जाएगा। कुपोषित बच्चों की पहचान और प्रबंधन के लिए विस्तृत कदम उठाने के लिए केंद्र ने मानकीकृत राष्ट्रीय प्रोटोकाल का मसौदा तैयार किया है। इस अवसर पर स्मृति इरानी ने कहा कि 42,000 मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को आंगनवाड़ी केंद्रों में बदल दिया गया है और इन केंद्रों के सभी उपकरणों का हर चार साल में नवीनीकरण किया जाएगा।

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    बाइलेटरल पिटिंग एडिमा में पैरों में सूजन आ जाती है। जब सूजन वाले स्थान पर दबाया जाता है तो वहां जैसी आकृति बन जाती है। इससे पहले सभी गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जाता रहा है। अब तक, अधिकांश एनआरसी छह से 59 महीने के एसएएम बच्चों का प्रबंधन कर रहे हैं, लेकिन अब ये केंद्र गंभीर कुपोषण या गंभीर पोषण संबंधी जोखिम वाले एक से छह महीने के शिशुओं को भी सेवाएं प्रदान करेंगे।

    कुपोषित बच्चों की पहचान विकास निगरानी डेटा के अनुसार होगी

    प्रोटोकाल के अनुसार प्रत्येक एसएएम बच्चे और सभी गंभीर रूप से कम वजन वाले (एसयूडब्ल्यू) बच्चों की किसी भी स्वास्थ्य समस्या, संक्रमण या खतरे की पहचान करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा अधिकारी जांच करेंगे।

    इसमें कहा गया है कि किसी भी चिकित्सीय जटिलता वाले बच्चों को चिकित्सा प्रबंधन और बीमारी के आगे के इलाज के लिए निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाना चाहिए। प्रोटोकाल में कहा गया है कि कुपोषित बच्चों की पहचान विकास निगरानी डाटा (ऊंचाई के अनुसार वजन और उम्र के अनुसार वजन) का उपयोग करके की जानी चाहिए।