यौन शोषण मामले में आसाराम को राहत, हाईकोर्ट ने बढ़ाई अंतरिम जमानत की अवधि; 12 साल बाद कर पाएंगे ये काम
जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट ने 12 अगस्त तक जमानत दे दी है। गुजरात हाई कोर्ट के बाद राजस्थान हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद आसाराम लगभग 12 साल बाद जेल से बाहर गुरु पूर्णिमा मना पाएंगे। आसाराम को यह राहत उनकी खराब सेहत और इलाज की जरूरत को देखते हुए मिली है।
जेएनएन, जोधपुर। जीवन की अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बार फिर राहत प्रदान की है । राजस्थान हाई कोर्ट में उनकी जमानत अवधि को 12 अगस्त तक बढ़ा दिया है।
गुजरात हाई कोर्ट के बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट से भी राहत मिलने के कारण लगभग 12 साल बाद गुरु पूर्णिमा इस बार आसाराम जेल से बाहर रह पाएंगे।
आसाराम को मिली है आजीवन कारावास की सजा
अपने ही गुरुकुल की नाबालिग छात्र से दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने आसाराम की अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ाकर 12 अगस्त तक कर दिया है । यह फैसला आसाराम की खराब सेहत और इलाज की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है ।
खराब तबीयत का दिया हवाला
आसाराम के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनकी स्थिति बेहद नाजुक है । कई विशेषज्ञों की मेडिकल जांच और रिपोर्ट्स में उनकी सेहत को लेकर गंभीर चिंताएं जताई गई हैं । वकील ने जोर देकर कहा कि आसाराम का स्वास्थ्य बिल्कुल भी ठीक नहीं है और उन्हें तत्काल विशेष चिकित्सा देखभाल की जरूरत है।
इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने उन्हें सात जुलाई तक अंतरिम जमानत दी थी , जिसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने भी नौ जुलाई तक अंतरिम जमानत को बढ़ाया था । अब इसे एक बार फिर आगे बढ़ाया गया है । 86 वर्षीय आसाराम अभी जमानत पर दिल्ली में है।
6 महीने की मांगी थी जमानत
उन्होंने अपनी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति का हवाला देते हुए 6 महीने की स्थायी जमानत की मांग की थी । हालांकि , गुजरात हाईकोर्ट ने केवल तीन महीने की अंतरिम जमानत मंजूर की थी । इसके बाद आसाराम ने जोधपुर दुष्कर्म मामले में जमानत के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी दोनों अदालतों से मंजूरी मिलने के बाद ही वे इलाज के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ रवाना हो सके थे।
जोधपुर एम्स की एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, आसाराम को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं। उन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज है, जो हाई रिस्क श्रेणी में आता है। इसके अलावा, उनकी स्थिति को देखते हुए विशेष नर्सिंग देखभाल, नियमित मॉनिटरिंग और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट व नेफ्रोलॉजिस्ट से परामर्श की आवश्यकता बताई गई है।
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