'12 मुसलमानों की लाइफ...', मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में 12 दोषियों को बरी कर दिया क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा। ओवैसी ने जांचकर्ताओं पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या सरकार उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिन्होंने 189 लोगों की जान लेने वाले विस्फोटों की जांच की थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले के 12 दोषियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में पूरी तरह से विफल रहा है। मामले पर एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा है कि सरकार उन जांचकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगी, जिन्होंने 189 लोगों की जान लेने वाले ट्रेन बम बिस्फोटों की जांच की थी।
हैदराबाद से सांसद ने कहा कि 12 मुस्लिम लोगों ने 18 साल जेल में उस अपराध के लिए बिताए, जो उन्होंने किया ही नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि मारे गए लोगों के परिवारों के लिए अभी भी कोई क्लोजर नहीं है। एक्स पर पोस्ट करते हुए ओवैसी ने लिखा, "12 मुस्लिम पुरुष एक ऐसे अपराध के लिए 18 साल जेल में रहे जो उन्होंने किया ही नहीं, उनका सुनहरा जीवन चला गया, 180 परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, कई घायल हुए, उनके लिए कोई क्लोजर नहीं। क्या सरकार इस मामले की जांच करने वाले महाराष्ट्र एटीएस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी?"
'निर्दोष लोगों को भेज दिया जाता है जेल'
उन्होंने कहा, "निर्दोष लोगों को जेल भेज दिया जाता है और फिर सालों बाद जब वे जेल से रिहा होते हैं तो उनके जीवन के पुनर्निर्माण की कोई संभावना नहीं होती। पिछले 17 सालों से ये आरोपी जेल में हैं। वे एक दिन के लिए भी जेल से बाहर नहीं निकले हैं। उनके जीवन का अधिकांश हिस्सा बर्बाद हो गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "ऐसे मामलों में जहां जनाक्रोश होता है, पुलिस का तरीका हमेशा पहले दोषी मान लेना और फिर आगे बढ़ना होता है। पुलिस अधिकारी ऐसे मामलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और जिस तरह से मीडिया मामले को कवर करता है, वह एक तरह से अपराध का फैसला तय करता है। ऐसे कई आतंकी मामलों में जांच एजेंसियां बुरी तरह से विपल हो चुकी हैं।"
बॉम्बे हाई कोर्ट ने किस मामले में आरोपियों को किया रिहा?
11 जुलाई, 2006 को मुंबई की अलग-अलग ट्रेनों में 11 मिनट के अंदर सात बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में प्रेशर कुकर का इस्तेमाल किया गया था। पहला धमाका शाम 6 बजकर 24 मिनट पर और आखिरी धमाका 6 बजकर 35 मिनट पर हुआ था। चर्चगेट से आने वाली ट्रेनों के फर्स्ट क्लास के डिब्बों में बम रखे गए थे। ये बम माटुंगा रोड, माहिम जंक्शन, बांद्रा, खार रोड, जागेश्वरी, भयंदर और बोरीवली स्टेशनों के पास फटे।
2015 में निचली अदालत ने इस मामले में 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जिसमें पांच को मौत की सजा और अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। आज उनकी सजा भी रद्द कर दी गई।
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