अरुणाचल प्रदेश के डोंग में करे नए साल का स्वागत, होना वाला है सन राइज फेस्टिवल; बस इतने खर्चे में उठा सकेंगे भरपूर रोमांच
अरुणाचल प्रदेश 29 दिसंबर 2025 से 2 फरवरी 2026 तक अंजॉ जिले के डोंग गांव में सन राइज फेस्टिवल मनाएगा। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि यह फेस्टिवल प्रकृति संस्कृति और रोमांच के प्रेमियों के लिए है। डोंग गांव जिसे भारत में सबसे पहले सूर्योदय देखने की जगह माना जाता है हिमालय की गोद में बसा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश इस बार नए साल का स्वागत एक खास अंदाज में करने जा रहा है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने घोषणा की है कि 29 दिसंबर 2025 से 2 फरवरी 2026 तक अंजॉ जिले में डोंग गांव में 5 दिन का 'सन राइज फेस्टिवल' मनाया जाएगा।
इसे लेकर उन्होंने एक्स पर लिखा, "मुझे खुशी है कि इस साल हम डोंग में 5 दिन का सन राइज फेस्टिवल मना रहे हैं। आइए 'लैंड ऑफ राइजिंग सन' में नए साल की पहली सुबह का स्वागत कीजिए।" यह फेस्टिवल उन लोगों के लिए है जो नए साल की शुरुआत प्रकृति, संस्कृति और रोमांच के साथ करना चाहते हैं। हिमालय की गोद में बसे छोटे से गांव में आप भारत का सबसे पहला सूर्योदय देख सकते हैं।
क्यों खास है डोंग गांव?
साथ ही, यहां आदिवासी परंपराओं का अनुभव, स्थानीय व्यंजनों का स्वाद और जंगलों की सैर भी कर पाएंगे। डोंग गांव समुद्र तल से 1240 मीटर की ऊंचाई पर बसा है और यहां सिर्फ 20 घर मौजूद हैं। यह गांव वालनॉग के पास है और चारों ओर चीड़ के जंगल, बर्फ से ढके पहाड़ और लोहित नदी है।
Landed in Walong, Anjaw district, and will be heading towards Dong – the place where the first Sun Ray touches Indian soil.
— Pema Khandu པདྨ་མཁའ་འགྲོ་། (@PemaKhanduBJP) September 6, 2025
To boost tourism and create new opportunities for adventurers & nature lovers, I am delighted to announce that from this year onwards we will be hosting a… pic.twitter.com/8nC6UpnZY8
1999 में इंडियन साइंस कांग्रेस ने इसे भारत में सबसे पहले सूर्योदय देखने की जगह माना था। सर्दियों में यहां सुबह 4.30 बजे ही सूरज निकल जाता है। साथ ही यहां के मेयो जनजाति की संस्कृति इसे और खास बनाती है।
सन राइज फेस्टिवल में क्या होगा खास?
- सनराइज ट्रेक: सुबह 2-3 किलोमीटर की पहाड़ी चढ़कर डोंग पीक से नए साल का पहला सूर्योदय देख सकेंगे।
- जनजातीय नृत्य-संगीत: शाम को मिश्मी और आदी जनजाति की पारंपरिक प्रस्तुतियां होंगी।
- स्थानीय खाना: थुकपा, बांस की सब्जी, लुक्टर और अपोंग का स्वाग मिलेगा।
- डोंग तक कैसे पहुंचे?
- हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा तेजू है और दूसरा विकल्प डिब्रूगढ़ है।
- रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन तिनसुकिया है।
- सड़क मार्ग: तेजू या रोइंग से वालनॉग होते हुए डोंग पहुंचना होगा। आखिरी 7 किमी या तो पैदल पुल से या जीप से तय करना पड़ेगा।
- अनुमति जरूरी: भारतीय नागरिकों को ILP (Inner Line Permit) और विदेशी पार्यटकों को PAP (Protected Area Permit) लेना अनिवार्य है।
कितना रखे बजट?
- फ्लाइट: 8 हजार से 12 हजार रुपये तक।
- लोकल ट्रांसपोर्ट: 3 हजार से 5 हजार रुपये तक।
- रहने का खर्च: 5 हजार से 10 हजार रुपये तक।
- खाना व खरीदारी: 4 हजार रुपये तक।
- परमिट व फीस: 500 से 1 हजार रुपये तक।
- कुल खर्च- 18 हजार 500 रुपये से 32 हजार रुपये तक प्रति व्यक्ति।
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