ऑटिज्म कलाकारों की कला को सम्मान और नया आयाम देने के लिए प्रदर्शनी
ऑटिज्म के बारे में प्रचलित गलतफहमियों में एक यह है कि यह एक मानसिक विकलांगता है जबकि वास्तव ऐसा है नहीं। ऑटिज्म के बारे में जागरूकता से ही निदान संभव है। लोगों में ऑटिज्म को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए डॉ. रश्मि दास कई सालों से काम कर रही हैं।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : आपको 'बर्फी' फिल्म में प्रियंका चोपड़ा का किरदार तो याद होगा। झिलमिल नाम की वह लड़की ऑटिज्म की समस्या से पीड़ित थी। उस लड़की का अलग ही संसार था। इस बीमारी की खासियत यह होती है कि इससे ग्रस्त बच्चे खुद की बनाई कल्पना की दुनिया में जीते हैं। लेकिन ऑटिज्म को गलत समझा जाता रहा है । भारत में इसके बारे में जागरूकता बहुत कम है। किसी व्यक्ति के व्यवहार में कोई बदलाव होता है तो उसे मेंटल कंडीशन मान लिया जाता है।
ऑटिज्म के बारे में प्रचलित गलतफहमियों में एक यह है कि यह एक मानसिक विकलांगता है, जबकि वास्तव ऐसा है नहीं। एक्सपर्ट मानते हैं कि ऑटिज्म के बारे में जागरूकता से ही निदान संभव है। लोगों में ऑटिज्म को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए डॉ. रश्मि दास कई सालों से काम कर रही हैं।
उनके बनाए प्लेटफॉर्म पर ऑटिज्म-ग्रस्त अनेक बच्चे आर्ट में प्रशिक्षित हुए हैं।
ऐसे बच्चों के आर्ट की एक प्रदर्शनी गुरुवार को कनॉट प्लेस में G-42 में शुरू हो रही है। यह प्रदर्शनी 15 अक्तूबर तक चलेगी। गुरुवार को इसका उद्घाटन कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर करेंगे। धूमिमल गैलरी और एयूटिपिकल (AuTypical.in) के संयुक्त तत्वावधान में इसका आयोजन किया जा रहा है।
डॉ. रश्मि कहती हैं कि बड़े प्रोफेशनल आर्ट इवेंट में ऑटिज्म आर्टिस्ट की प्रस्तुतियां जाना असंभव है। सामान्यतः ऑटिज्म आर्टिस्ट की प्रदर्शनी को चैरिटी माना जाता है। वह कम बजट की होती है लेकिन धूमिमल गैलरी ने यह प्रशंसनीय कार्य किया है। इसमें ऑटिज्म कलाकारों की कलाकृतियों को स्थान मिलेगा। नवोदित कलाकारों, कला के प्रशंसकों और कला संग्रहकर्ताओं के लिए हर वर्ष आयोजित होने वाला रवि जैन मेमोरियल पुरस्कार एक बड़ा आयोजन होता है। अपने 31वें संस्करण में गैलरी ने जागरूकता फैलाने के लिहाज से ऑटिज्म कलाकारों को भी स्थान दिया है।
इस गैलरी को AuTypical.in द्वारा लगाया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में चुनिंदा कलाकारों के चयनित काम को प्रदर्शित किया जाएगा। कला का चयन करने वाली ज्यूरी में पल्लवी खंडेलवाल, मिठू सेन, मनीषा गेरा, राहुल कुमार और कंचन चंदर जैसी मशहूर हस्तियां शामिल हैं। 29 सितंबर से शुरू होने वाली इस प्रदर्शनी में फिजिकल ऑक्शन 10 नवंबर को होगा। धूमिमल गैलरी 1936 में स्थापित हुई थी और यह भारत की सबसे पुरानी परंपरागत कला की गैलरी में से एक है।
गैलरी के प्रॉपराइटर उदय जैन का कहना है कि रवि जैन वार्षिक प्रदर्शनी में हर साल 100 कलाकारों और मूर्तिकारों को मौका दिया जाता है। वह कहते हैं कि रवि जैन चाहते थे कि कला का दौर पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलता रहे। इससे नई प्रतिभाएं आगे आएंगी और कला अधिक समृद्ध होगी। यही वजह है कि इस प्रदर्शनी में कला का सबसे व्यापक आयाम देखने को मिलता है।
एयूटिपिकल (AuTypical.in) की डॉ. रश्मि दास कहती हैं, मेरे अनुभवों ने मुझे पांच निष्कर्षों तक पहुंचाया। सबसे पहले, भारत में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे अन्य सभी न्यूरोटिपिकल बच्चों की तरह ही अपने प्री-स्कूल स्तर से रंगों और कला के संपर्क में आते हैं। दूसरा, कला शिक्षण और मार्गदर्शन के साथ-साथ उसके प्रति लगाव और प्राकृतिक क्षमता से प्रेरित होती है। तीसरा, पेशेवर आर्ट शो में ऑटिस्टिक बच्चों, किशोरों और वयस्क युवाओं की रचनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है। चौथा, उनकी कला का एक ही आउटलेट है - विश्व ऑटिज्म सप्ताह को चिह्नित करने के लिए कुछ संगठनों द्वारा जागरूकता बढ़ाने वाले चैरिटी कार्यक्रम। उनकी प्रस्तुति शौकिया है। पांचवां, कोई कला मंच मौजूद नहीं था जो उनके काम को समेटे और उनकी ओर से वकालत करे।
डॉ. दास ने कहा, 'मैं पूरे देश से ऑटिस्टिक कला दिखाने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाना चाहता थी इसके लिए मुझे एक ब्रांड नेम और एक लोगो की जरूरत थी। मैं अपने पारिवारिक मित्र, सेलिब्रिटी शेफ, सुविर सरन के पास पहुंची। ऑटिज्म की प्रकृति और इसके दायरे पर कई दौर की बातचीत के बाद, AuTypical.in उभरा।
उन्होंने कहा कि ऑटिस्टिक बच्चे का असामान्य विकास उसका व्यक्तित्व होता है। सिर्फ इसलिए कि यह दुनिया की 'सामान्य' धारणाओं और समझ से अलग है, इसकी निंदा नहीं की जानी चाहिए। कला क्यूरेटर, लेखक और सलाहकार किरण मोहन से मेरी मुलाकात हुई। उन्होंने मुझे उदय से मिलने की सलाह दी। उदय का कहना था कि इसे एक बड़ा मंच दिया जाए। इसलिए आगामी युवा कलाकारों के लिए 31वें रवि जैन मेमोरियल फाउंडेशन अवार्ड्स में ऑटिज्म कलाकारों को शामिल किया गया है।
प्रदर्शनी में कुल मिलाकर 438 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं, जिनमें से 73 का चयन किया गया है। इनमें से 10 ऑटिज्म कलाकार हैं। यह कलाकार अलग-अलग माध्यम- पेंटिंग, मूर्तिकला, प्रदर्शन, स्थापना, ड्राइंग, फोटोग्राफी, प्रिंटमेकिंग और डिजिटल कला क्षेत्र से हैं।