ब्रिटेन में है हैदराबाद के निजाम की 306 करोड़ रुपये, जानें- कितने हिस्सेदारों में होगा बंटवारा
हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर ओस्मान अली खान के 306 करोड़ रुपये उनके असली वंशजों और भारत सरकार के बीच बंटवारा होगा।
हैदराबाद, प्रेट्र। हैदराबाद के सातवें निजाम के पैसे को लेकर कई सालों से चल रहे विवाद में ब्रिटेन की एक हाई कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत भारत और हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर ओस्मान अली खान के वंशजों को 306 करोड़ रुपये मिलेंगे। अब प्रश्न उठता है कि आखिर मीर ओस्मान अली खान के असली वंशज कौन हैं? इस पैसे का कैसे करेंगे बंटवारा?
इन सभी प्रश्नों से उस समय पर्दा उठ गया जब सातवें निजाम के पोते नवाब नजफ अली खान ने दावा किया कि निजाम मीर उस्मान अली खान बहादुर की ब्रिटेन में जमा करीब 3.5 करोड़ पाउंड (लगभग 300 करोड़ रुपये) की राशि के उनके करीब 120 वंशज हिस्सेदार हैं।
परिवार का दावा मिल-बैठकर करेंगे बंटवारे का फैसला
नवाब नजफ अली खान 'निजाम फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन' के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि परिवार के सभी सदस्य मिल-बैठकर इस धन के बंटवारे का फैसला करेंगे। सभी ने मुझे पूरा अधिकार दिया है और मैं उनका प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। सातवें निजाम के वंशज और हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जाह एवं उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह ने इस धन पर हक के लिए पाकिस्तान सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई में भारत सरकार से हाथ मिला लिया था।
इस मसले पर नवाब नजफ अली खान ने कहा कि वे (प्रिंस मुकर्रम जाह और मुफ्फखम जाह) अकेले पूरी रकम नहीं ले सकते। प्रिंस और उनके छोटे भाई समेत परिवार के सभी सदस्य बैठकर रकम के बंटवारे पर चर्चा करेंगे और मामला वैसे नहीं सुलझा तो अदालत जाने का विकल्प भी है। उन्होंने आगे कहा, 'सबसे बड़ी बाधा पाकिस्तान था। अब यह अन्य सभी पक्षों पर है कि वे सहमति बनाएं.. धन के लिए कोई भी लड़ना नहीं चाहता। आखिरकार हम मिलकर बैठेंगे और मामला सुलझा लेंगे। हम फैसला कर लेंगे।'
पाकिस्तान के पास अभी भी है अपील करने का समय
ब्रिटेन में तत्कालीन पाकिस्तानी उच्चायुक्त के खाते में जमा उक्त रकम के मामले में ब्रिटिश हाई कोर्ट ने बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था। हालांकि पाकिस्तान के पास इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए चार हफ्ते का समय है।
जानें- फैसले में ब्रिटिश कोर्ट ने क्या- कहा था
इस मामले में फैसला सुनाने वाले ब्रिटिश हाईकोर्ट के जस्टिस मार्कस स्मिथ ने कहा था कि निजाम-7 इस पैसे के असली मालिक थे और इसा दावा करने वाले उनके वंशज और भारत अब इसके हकदार हैं। मैं यह उन पर छोड़ता हूं कि वे मसौदा तैयार करें, जिसको मैं अप्रूव करूंगा। इसका मतलब स्पष्ट है कि पैसे के दावेदारों को भारत सरकार के साथ बंटवारे को लेकर एक सहमति बनानी होगी, जिसे कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद ही पैसा मिल पाएगा।