Army Pension Row: रिटायर्ड जवानों को कोर्ट में क्यों घसीटा जा रहा? सुप्रीम कोर्ट ने की केंद्र की खिंचाई, कहा- भारी जुर्माना लगाएंगे
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने केंद्र को नीति बनाने को कहा। इसके अलावा यह भी कहा कि अगर निरर्थक याचिका दाखिल की गई तो आगे से भारी जुर्माना लगाना पड़ेगा। पीठ ने कहा क याचिका दाखिल करने में कुछ विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए।
पीटीआई, नई दिल्ली। सेवानिवृत्त सैनिक की विकलांगता पेंशन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ऐसी ओछी याचिकाएं दाखिल करके सशस्त्र बलों का मनोबल नहीं गिराया जा सकता।
पीठ ने केंद्र से पूछा कि क्या आप नीति बनाने को तैयार हैं। अगर नीति बनाने को तैयार नहीं हैं तो हमें जब भी लगेगा कि अपील निरर्थक है तो हम भारी जुर्माना लगाना शुरू करेंगे।
न्यायाधिकरण के फैसले को केंद्र ने दी चुनौती
गुरुवार को केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इस याचिका में केंद्र ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण न्यायाधिकरण के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें एक सेवानिवृत्त रेडियो फिटर को विकलांगता पेंशन प्रदान की है।
पीठ ने पूछा- शीर्ष अदालत में घसीटने की जरूरत क्यों?
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण से विकलांगता पेंशन से राहत पाने वाले सशस्त्र बलों के हर सदस्य को शीर्ष अदालत में घसीटने की जरूरत नहीं है। केंद्र को अपील दायर करने में विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए।
व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए
पीठ ने कहा कि याचिका में कुछ व्यावहारिक दृष्टिकोण होना चाहिए। एक सैन्यकर्मी 15- 20 साल तक काम करता है। मान लीजिए कि वह कुछ विकलांगता से ग्रस्त है और सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के आदेश में विकलांगता पेंशन के भुगतान का निर्देश दिया जाता है। तो इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट में क्यों घसीटा जाना चाहिए?"
केंद्र सरकार को नीति बनाना चाहिए
पीठ ने आगे कहा कि हमारा मानना है कि केंद्र सरकार को एक नीति बनाना चाहिए। इतना ही नहीं सशस्त्र बलों के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट में घसीटने का निर्णय लेने से पहले कुछ जांच पड़ताल भी की जानी चाहिए।
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