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    'हमारे सामने ढाई मोर्चों पर खतरा', सेना प्रमुख बोले- युद्ध क्षेत्र में थल सेना की प्रधानता बनी रहेगी

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 10 Sep 2025 12:12 AM (IST)

    अखिल भारतीय प्रबंधन संघ के 52वें राष्ट्रीय सम्मेलन में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि किसी भी युद्ध क्षेत्र में थल सेना की प्रधानता बनी रहेगी। भारत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भूमि पर प्रभुत्व ही विजय की मुद्रा (करेंसी) बनी रहेगी। चूंकि भारत में हमारे सामने ढाई मोर्चों पर खतरा है इसलिए जमीन ही जीत की मुद्रा बनी रहेगी।

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    सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अखिल भारतीय प्रबंधन संघ के 52वें राष्ट्रीय सम्मेलन को किया संबोधित

     पीटीआई, नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि किसी भी युद्ध क्षेत्र में थल सेना की प्रधानता बनी रहेगी। भारत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भूमि पर प्रभुत्व ही विजय की मुद्रा (करेंसी) बनी रहेगी। 'चूंकि भारत में हमारे सामने ढाई मोर्चों पर खतरा है, इसलिए जमीन ही जीत की मुद्रा बनी रहेगी।'

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    उनकी यह टिप्पणी एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के उस बयान के दो हफ्ते बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'ऑपरेशन सिंदूर' ने एक बार फिर वायु शक्ति की प्रधानता को स्थापित किया है। मंगलवार को यहां अखिल भारतीय प्रबंधन संघ के 52वें राष्ट्रीय सम्मेलन में जनरल द्विवेदी ने किसी भी युद्ध में थल सेना के महत्व पर जोर दिया।

    साथ ही, उन्होंने पिछले महीने अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध पर हुई शिखर वार्ता का भी जिक्र किया।

    सेना प्रमुख ने कहा, ''दोनों राष्ट्रपतियों के बीच हुए अलास्का सम्मेलन पर गौर करने पर आप पाते हैं कि उन्होंने सिर्फ इस बात पर चर्चा की थी कि कितनी जमीन का आदान-प्रदान करना है। भारत में, चूंकि हमारे सामने ढाई मोर्चों पर खतरा है, इसलिए जमीन ही जीत की मुद्रा बनी रहेगी।''

    भारत के सैन्य संदर्भ में, चीन और पाकिस्तान से उत्पन्न चुनौतियों को दो मोर्चों के रूप में माना जाता है और आधे मोर्चे को आम तौर पर उग्रवाद से उत्पन्न आंतरिक खतरों के रूप में संदर्भित किया जाता है।

    अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने युद्ध की बदलती प्रकृति पर भी विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार भारतीय सेना नई और उभरती प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के संदर्भ में परिवर्तनकारी बदलाव कर रही है।

    युद्धों की ''अप्रत्याशित'' प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आधुनिक युद्ध और सैन्य तैयारियों के तीन प्रमुख पहलुओं - फोर्स विजुअलाइजेशन (बल दृश्यीकरण), फोर्स प्रोटेक्शन (बल सुरक्षा) और फोर्स एप्लीकेशन (बल प्रयोग) की रूपरेखा प्रस्तुत की।

    उन्होंने कहा, ''जब रूस युद्ध में उतरा तो हमने यही सोचा था कि यह युद्ध केवल 10 दिनों तक चलेगा। जैसा कि हमने देखा, ईरान-इराक युद्ध लगभग 10 वर्षों तक चला। लेकिन, जब ऑपरेशन सिंदूर की बात आई तो हमें यकीन नहीं था कि यह कितने दिनों तक चलेगा और हममें से अधिकांश लोग कह रहे थे कि यह चार दिन के टेस्ट मैच की तरह क्यों समाप्त हो गया? युद्ध हमेशा अप्रत्याशित होता है। हम किसी विशेष मुद्दे के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के बारे में अनिश्चित हैं।''