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    सेना प्रमुख ने कहा- नापाक हरकतों का मुंह तोड़ जवाब देगी भारतीय सेना

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Sun, 01 Jan 2017 02:07 PM (IST)

    रविवार सुबह अमर जवान ज्योति पर जाकर अमर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

    अमर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सेना प्रमुख

    नई दिल्ली, जेएनएन। दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में एक भारतीय सेना के नए प्रमुख के रुप में जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को कमान संभाली। नए सेना प्रमुख के रूप में कमान संभालने वाले जनरल रावत ने रविवार सुबह अमर जवान ज्योति पर जाकर अमर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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    सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने कहा कि हमारा जवान चाहे वो कभी भी तैनात हो, मेरी नजरों में सब एक हैं। मैं हमारी सीमाओं की सुरक्षा बनाए रखनें के लिए बाध्य हूं।

    उन्होंने कहा कि हमारी सेना सीमाओं पर शांति और सौहार्द चाहती है, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि हम कमजोर हैं।

    नए सेना प्रमुख बनने के बाद रावत ने दी अमर जवानों को श्रद्धांजलि, देखें तस्वीरें

    आर्मी चीफ रावत ने कहा कि भारतीय सेना मूल रूप से शांति और सौहार्द की पक्षधर है, सीमाओं पर शांति स्थापित करने के लिए हम हमेशा तत्पर रहते हैं। अगर किसी ने भी भारत के खिलाफ नापाक हरकत की तो भारतीय सेना उसे मुंह तोड़ जवाब देगी।

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    नए सेना प्रमुख के रुप में कमान संभालने वाले जनरल बीपी रावत के लिए शनिवार को दिन बेहद खास रहा ,पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बक्शी ने वरिष्ठता के विवाद को पीछे छोड़ते हुए नए सेना प्रमुख को पूरा समर्थन देने की घोषणा कर दी।

    इतना ही नहीं लेफ्टिनेंट जनरल बक्शी ने फोन कर जनरल बीपी रावत को बधाई देकर अपनी वरिष्ठता की अनदेखी से नाराज होकर इस्तीफा देने की अटकलों को भी विराम दे दिया। गौरतलब है कि जनरल रावत को उनसे दो वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल बक्शी और पीएम हारिज के मुकाबले तवज्जो देकर सरकार ने नया सेना प्रमुख नियुक्त किया था। जाहिर तौर पर बक्शी का नए सेना प्रमुख के साथ पूरी तरह सहयोग का बयान सरकार और सेना दोनों के लिए राहत है।जनरल रावत ने साउथ ब्लॉक में जनरल दलबीर सिंह सुहाग से सेना प्रमुख के कक्ष में परंपरागत बेटन हासिल कर देश के 27 वें सेना प्रमुख के तौर पर कमान संभाल ली।

    जनरल रावत को कश्मीर, चीन से लगी पूर्वी सीमा के इंफैट्री डिजिवन की कमान संभालने से लेकर संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में नेतृत्व करने का व्यापक अनुभव है। अब तक सेना के उप प्रमुख रहे रावत डीजीएमओ सहित सेना के कई अहम पदों पर रह चुके हैं। इन्हीं अनुभवों के चलते सरकार ने सेना प्रमुख के रुप में नियुक्ति में उन्हें तवज्जो दी। ग्यारहवें गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में 1978 में सेना में कमीशन हासिल करने वाले रावत ने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल देहरादून ने सैन्य अफसर के रुप में अपना मुकाम शुरू किया। चीन और पाकिस्तान के साथ लगातार सीमा पर होने वाले तनाव और उतार-चढ़ाव के दौर के बीच जाहिर तौर पर उनकी सेना प्रमुख के रुप में चुनौती कहीं ज्यादा होगी।

    सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने हालांकि यह कहते हुए रावत को आश्र्वस्त किया कि हमारी सेना दुनिया में किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए न केवल सक्षम है, बल्कि हमेशा तैयार भी है।

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