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    किसी बड़े आतंकी हमले का संकेत तो नहीं धमकी भरे ई-मेल, डार्क वेब के जरिए भेजे जाते हैं संदेश

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 06:56 AM (IST)

    करीब दो साल से लगातार अलग-अलग तरह के धमकी भरे हजार से अधिक ई-मेल मिल चुके हैं, जिन्हें जांच एजेंसियां हर बार तकनीकी जांच के बाद फर्जी घोषित कर देती हैं। स्कूल, कॉलेज, सचिवालय, अदालत ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जिसे बम से उड़ाने की धमकी न मिली हो। 

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    किसी बड़े आतंकी हमले का संकेत तो नहीं धमकी भरे ई-मेल (फोटो- जागरण)

    मोहम्मद साकिब, जागरण, नई दिल्ली। करीब दो साल से लगातार अलग-अलग तरह के धमकी भरे हजार से अधिक ई-मेल मिल चुके हैं, जिन्हें जांच एजेंसियां हर बार तकनीकी जांच के बाद फर्जी घोषित कर देती हैं। स्कूल, कॉलेज, सचिवालय, अदालत ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जिसे बम से उड़ाने की धमकी न मिली हो।

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    अधिकांश मामलों में ये ई-मेल वीपीएन व डार्क वेब के जरिए भेजे जाते हैं, जिससे लोकेशन विदेश की दिखती है, लेकिन वास्तविक स्त्रोत तक पहुंच पाना पुलिस के लिए चुनौती बन जाता है।

    किसी बड़ी आतंकी साजिश का संकेत

    हर बार जांच में कुछ ठोस नहीं मिल पाता। लेकिन अब जब देशभर में आतंकी नेटवर्क की गतिविधियां सामने आ रही हैं और कई हमलों की साजिशें उजागर हुई हैं, तो इन पुराने मामलों का संदर्भ बेहद अहम है। जिस तरह बार-बार ये धमकी भरे ई-मेल अलग-अलग स्थानों को टारगेट करते हुए भेजे जा रहे थे, यह संभव है कि वे सिर्फ फर्जी नहीं थे, बल्कि किसी बड़ी आतंकी साजिश का संकेत दे रहे थे।

    10 नवंबर को लाल किले के पास हुए आतंकी हमले की एजेंसियां जांच में लगी ही थीं कि मंगलवार सुबह चार प्रमुख जिला अदालतों और दो स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिलने के बाद अफरा-तफरी मच गई।

    इन जगहों पर धमकी दी गई

    साकेत, द्वारका, पटियाला हाउस और रोहिणी कोर्ट के साथ-साथ दो सीआरपीएफ स्कूलों को जैश-ए-मोहम्मद के नाम से बम से उड़ाने की धमकी भरा ई-मेल मिला।

    आनन-फानन में अदालतों की इमारतें खाली कराई गईं और सूचना पर पहुंचा बम डिस्पोजल स्क्वाड (बीडीएस), स्निफर डाग और फारेंसिक टीमों ने सर्च अभियान शुरू किया। काफी तलाश के बाद जब कुछ संदिग्ध नहीं मिला तो इसे फर्जी मेल करार दिया गया।

    कोर्ट के बाहर आरएएफ तैनात

    वहीं, पटियाला हाउस कोर्ट में धमकी भरा मेल ऐसे वक्त आया, जब थोड़ी देर बाद लालकिला बम धमाके के आरोपित व साजिशकर्ता जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश की पेशी होने वाली थी। एनआइए की टीम आरोपित को पेश करने पहुंच रही थी, उससे पहले कोर्ट के बाहर आरएएफ तैनात कर दी गई थी। धमकी भरे मेल के बाद सुरक्षा-व्यवस्था और सख्त कर दी गई।

    दो घंटे बाद कामकाज हुआ शुरू

    पटियाला हाउस कोर्ट में सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी पहुंचे, जिन्होंने हर कोने-कमरों, लाकरों, बाथरूम से लेकर पार्किंग तक की बारीकी से छानबीन की। इसके अलावा, साकेत कोर्ट में मेटल डिटेक्टर गेट पर अतिरिक्त जांच शुरू हो गई, जबकि रोहिणी में सीसीटीवी फुटेज की स्कैनिंग हुई।

    द्वारका कोर्ट के आसपास एंट्री प्वाइंट्स पर बैरिकेडिंग लगाई गई। दूसरी ओर, स्कूलों में भी ऐसी ही सख्ती बरती गई। जांच-पड़ताल के बाद दो घंटे बाद कोर्ट में सब कुछ सामान्य हो गया और कामकाज शुरू हुआ।

    पकड़ में नहीं आते धमकी देने वाले

    दिल्ली और देशभर में हाल के वर्षों में धमकी भरे ईमेल का पैटर्न सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। जांच में सामने आया है कि अधिकांश मेल वीपीएन, प्राक्सी सर्वर और डार्क वेब से भेजे जाते हैं, जिससे भेजने वाले की वास्तविक लोकेशन और पहचान छिप जाती है।

    साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, वीपीएन सर्वर अक्सर विदेशों में होते हैं और इनका डाटा एक्सेस करना जटिल अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया के कारण कठिन होता है।