Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    12 हजार करोड़ के ग्रीन एनर्जी कारीडोर के दूसरे चरण को मंजूरी, ट्रांसमिशन लाइन होगी स्थापित

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Thu, 06 Jan 2022 10:29 PM (IST)

    इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि पहले चरण में ग्रीन कारीडोर के निर्माण के बाद दूसरे चरण के ग्री ...और पढ़ें

    Hero Image
    वर्ष 2030 तक पांच लाख मेगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य (फोटो सोर्स: एएनआइ)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वर्ष 2030 तक देश में पांच लाख मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) उत्पादन के लक्ष्य को साधने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक अहम फैसला किया। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अंतर-राज्यीय ग्रीन एनर्जी कारीडोर के दूसरे चरण निर्माण के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी। इस परियोजना पर कुल 12,031 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इससे कुल 10,750 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन स्थापित की जाएगी और 27,500 मेगा वोल्ट एंपीयर्स (एमवीए) ट्रांसफारमेशन क्षमता स्थापित की जाएगी। यह कारीडोर मुख्य तौर पर गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु व उत्तर प्रदेश में निर्मित होगा। इससे देश में 20 हजार मेगावाट क्षमता की रिन्यूएबल एनर्जी के ट्रांसमिशन की सुविधा विकसित होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि पहले चरण में ग्रीन कारीडोर के निर्माण के बाद दूसरे चरण के ग्रीन एनर्जी कारीडोर के निर्माण का काम इसी वित्तीय वर्ष 2021-22 में शुरू होगा और वर्ष 2025-26 में पूरा किया जाएगा। इसके लिए 33 प्रतिशत हिस्सा यानी 3970.30 करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार देगी, इतनी ही राशि जर्मनी की एजेंसी बतौर कर्ज देगी, जबकि शेष हिस्सा राज्य देंगे। केंद्र की तरफ से कुल लागत में हिस्सा देने से बिजली ट्रांसमिशन की लागत कम होगी जिसका फायदा आम ग्राहकों को होगा। उन्होंने बताया कि पहले चरण का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। याद दिला दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल भारत के वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की घोषणा की थी।

    धारचुला में पुल निर्माण करेगा भारत

    नेपाल सीमा पर स्थित धारचुला क्षेत्र के आसपास के नागरिकों की वर्षों पुरानी मांग को देखते हुए भारत सरकार ने वहां महाकाली नदी के ऊपर एक पुल बनाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके मुताबिक, जल्द ही भारत और नेपाल के बीच इस पुल के निर्माण को लेकर समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। भारत और नेपाल के बीच इस पुल का निर्माण तीन वर्ष में पूरा होगा। भारत ने उम्मीद जताई है कि इस पुल के बनने से न सिर्फ दोनों देशों के बीच आवागमन बेहतर होगा बल्कि परस्पर द्विपक्षीय संबंधों में भी मजबूती आएगी।

    आपदा प्रबंधन पर भारत-तुर्कमेनिस्तान के बीच एमओयू को मंजूरी

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच आपदा प्रबंधन में सहयोग के सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने को भी मंजूरी प्रदान कर दी। इस एमओयू में ऐसी व्यवस्था बनाने की बात है जिससे दोनों देश एक दूसरे के आपदा प्रबंधन तंत्र से लाभ उठा सकेंगे।