मुंबई के अलावा यहां भी है मरीन ड्राइव, जहां आप ले सकते है बैकवाटर का आनंद
केरल राज्य में देखने और घूमने को इतना कुछ है कि आप कितने भी दिन के लिए आएं, कम ही लगेंगे। अपने प्राचीन बंदरगाह की वजह से कोच्चि या कोचीन व्यापार का बड़ा केंद्र रहा है।
[डॉ. कायनात काजी]। केरल और मानसून का खास रिश्ता है। यदि आप शीतल फुहारों के बीच सुकून से समय गुजारते हुए विविध संस्कृतियों के साथ-साथ खानपान का भी लुत्फ लेना चाहते हैं, तो केरल का कोच्चि एक खूबसूरत विकल्प है। आइए चलते हैं कोच्चि के सफर पर...
समंदर, नारियल के पेड़, कथकली नृत्य, बैक वॉटर्स, टी-गार्डन, ऊंचे-ऊंचे मंदिर, पारंपरिक गोल्डन बॉर्डर वाली सफेद साड़ियों में सजी महिलाएं और उनके जूड़े में महकता मोगरे का गजरा...। केरल राज्य में देखने और घूमने को इतना कुछ है कि आप कितने भी दिन के लिए आएं, कम ही लगेंगे। अपने प्राचीन बंदरगाह की वजह से कोच्चि या कोचीन व्यापार का बड़ा केंद्र रहा है। इस राज्य ने चीनियों, डचों, पुर्तगालियों, अंग्रेजों और मुसलमानों को खुली बाहों से अपनाया है। व्यापारिक केंद्र होने के नाते जहां यह विदेशियों की पसंद बना, वहीं देश के अन्य नजदीकी राज्यों के व्यापारियों के आकर्षण का केंद्र भी रहा। इसलिए यहां मालाबार, कोंकण, गुजरात और तमिलनाडु से लोग आए और फले-फूले। जब इतनी विविध संस्कृतियों के लोग यहां आए तो जाहिर है कि वे अपने साथ अपनी परंपराएं, रीति-रिवाज, संस्कृतियां भी लेकर आए। कहते हैं कि इस राज्य का दिल माना जाने वाला शहर कोच्चि विदेशियों की पहली कॉलोनी बना।
कभी था मछुआरों का गांव
कहते हैं कोच्चि कभी मछुआरों का एक छोटा- सा गांव था। कालांतर में अरब सागर की ताकतवर जलधाराओं ने गांव को मुख्यभूमि से अलग कर दिया, जिससे यह भूमिबद्ध बंदरगाह भारत के दक्षिण-पश्चिम तट के सर्वाधिक सुरक्षित बंदरगाहों में से एक बन गया। इस बंदरगाह को सामरिक महत्व मिला। भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पहुंचकर 1500 ई. में पुर्तगाली नाविक पेड्रो अल्वारेस कैब्रल ने जब भारतीय भूमि पर पहली यूरोपीय बस्ती की स्थापना कोचीन में की, तो यहां समृद्धि का दौर आरंभ हुआ।
आयुर्वेद स्पा और पंचकर्म
अपने देश के अलावा सात समंदर पार करके विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग यहां आयुर्वेदिक स्पा के लिए आते हैं। यहां हजारों साल से संजोई गई केरल की आयुर्वेद स्पा और पंचकर्म की जादुई दुनिया व्यक्ति में ऊर्जा और स्फूर्ति भरने में समर्थ होती है। फोर्ट कोच्चि में अनेक आयुर्वेद स्पा और पंचकर्म सेंटर हैं, जो अपनी पारंपरिक पद्धति से स्पा ट्रीटमेंट देते हैं। इनमें प्रमुख हैं-शिरोधारा, पंचकर्म, मड थेरेपी आदि।
प्राचीन यहूदी प्रार्थना स्थल
केरल के फोर्ट कोच्चि इलाके में स्थित सिनेगॉग देश का सबसे पुराना यहूदी प्रार्थना स्थल माना जाता है। इसकी वास्तुकला देखने लायक है। कहा जाता है कि ढाई हजार साल पहले यहूदी इजरायल से आए थे। 1524 ई. से पहले केरल के मालाबार इलाके में यहूदी धर्म मानने वाले लोग शांतिपूर्वक व्यापार करते थे, लेकिन बाद में उन्हें पुर्तगालियों से संघर्ष करना पड़ा। सिनेगॉग को वर्ष 1568 में कोच्चि के यहूदी समाज ने बनवाया था। फोर्ट कोच्चि को कभी जूइस टाउन यानी यहूदियों के मोहल्ले के नाम से ही जाना जाता था। सिनेगॉग को अब संरक्षित कर दिया गया है। यहां जाने की इजाजत मुश्किल से मिलती है। यहां फोटो खींचना भी मना है। यह देश की बहुलतावादी संस्कृति की अनमोल विरासत है। नीले गगन के त्ोले वैसे तो पूरा फोर्ट कोच्चि देखने लायक है, लेकिन शाम के समय महात्मा गांधी बीच पर टहलना और समुद्र के किनारे खुले आकाश तले बैठना बड़ा आनंद देता है।
वास्कोडिगामा का खास रिश्ता
आम तौर पर लोग पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा का संबंध गोवा से लगाते हैं, लेकिन कोच्चि से भी उनका बेहद खास रिश्ता रहा है। वास्कोडिगामा ने 1502 ई. में यहां पहली पुर्तगाली फैक्ट्री की स्थापना की थी। उनसे कोच्चि की प्रशंसा सुनकर भारत में पुर्तगाल के तत्कालीन गवर्नर अलफांसो-द-अल्बुकर्क ने वर्ष 1503 में यहां पहला पुर्तगाली किला बनवाया। कहते हैं जब वास्कोडिगामा तीसरी बार भारत यात्रा पर आए तो उनकी मृत्यु कोचीन में ही हुई थी। उन्हें यहीं सेंट फ्रांसिस चर्च में दफनाया गया और चौदह साल के बाद उनके अवशेषों को लिस्बन, पुर्तगाल ले जाया गया।
कोच्चि यानी छोटी खाड़ी
कोच्चि का नाम मलयालम के शब्द ‘कोचु अजहि’ के नाम पर पड़ा है, जिसका अर्थ होता है ‘छोटी खाड़ी’। प्राचीन बंदरगाह वाले इस शहर के लिए इससे उपयुक्त भला और कौन-सा नाम होता। छोटे-छोटे टापुओं को मिलाकर बना यह शहर कभी एर्नाकुलम, मत्तनचेरी, फोर्ट कोचीन, विलिंगडन द्वीप, आइपिन द्वीप, गुंडू द्वीपों और कस्बों तक फैला हुआ था।
दर्शनीय हैं ये स्थल: विलिंगडन द्वीप
विलिंगडन द्वीप कोच्चि में स्थित एक समुद्री बंदरगाह है। इस सबसे बड़े मानवनिर्मित द्वीप का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कराया गया था। इस समुद्री बंदरगाह को बनाने के लिए रेतीली भूमि का एक हिस्सा वेम्बानाड झील से बाहर निकाला गया और आज यह भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित द्वीप है। इस द्वीप का निर्माण इस तरह किया गया है कि यह सड़क मार्ग और रेल मार्ग से आसानी से जुड़ता है। इस द्वीप का नाम सर विलिंगडन के नाम पर रखा गया। उन्होंने ही इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। यहां बोटिंग, फिशिंग और साइटसीइंग के अनुभवों का आनंद लिया जा सकता है।
कोट्टायम यानी किला
यह कोच्चि से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोट्टायम मलयालम भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है-किला। इस छोटे से शहर में बहुत कुछ है देखने को, जैसे-पुंजार महल, थिरूंक्कारा महादेव मंदिर, पल्लचप्पतराथू कावू, थिरूवेरपू मंदिर और सरस्वती मंदिर आदि। वेम्बानाड झील की वजह से यहां के बैकवॉटर्स बहुत खूबसूरत हैं। ओणम पर्व के मौके पर यहां नौकायन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। जुलाई माह में यहां प्रसिद्ध एलिफैंट परेड आयोजित की जाती है, जिसे देखने देश-विदेश से सैलानी आते हैं। इस दौरान हाथियों को खूबसूरत स्वर्ण मुकुट से सजाया जाता है। गीत-संगीत के साथ यह परेड निकलती है।
चेराई बीच में सूर्यास्त का आनंद
चेराई बीच कोच्चि के लोकप्रिय समुद्र तटों में से एक है। यह कोच्चि से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सूर्यास्त के दृश्य का आनंद उठाना चाहते हैं तो चेराई बीच जरूर जाएं। इस बीच तक आप फेरी से समुद्र के रास्ते भी पहुंच सकते हैं। यहां आकर आप ताजा सी-फूड का लुत्फ बड़े ही मुनासिब दामों पर उठा सकते हैं।
यहां है देश का पहला गिरजाघर
फोर्ट कोचीन में पुर्तगालियों द्वारा 1510 ई. में बनवाया गया सेंट फ्रांसिस चर्च है, जो भारतीय भूमि पर पहला यूरोपीय गिरजाघर होने के कारण विख्यात है। इस चर्च का निर्माण पहले लकड़ी से किया गया था। इसने अनेक दौर देखे और कई बार इसका निर्माण हुआ। आज जिस रूप में यह चर्च नजर आता है, उसका निर्माण 1516 में पूर्ण हुआ। जब प्रोटेस्टेंट डच लोगों ने शहर पर आक्रमण किया तो उन्होंने इस चर्च को नुकसान नहीं पहुंचाया। 1804 में डच लोगों ने चर्च को अंग्रेजी चर्च के नियंत्रण में दे दिया और फिर इसे चर्च सेंट फ्रांंसिस को समर्पित कर दिया गया।
सांता क्रूज कैथेड्रल बेसिलिका
फोर्ट कोच्चि की खासियत है कि एक छोटा-सा टापू होते हुए भी यह विश्व की कई महान सभ्यताओं के महत्वपूर्ण स्थलों का घर है। सांता क्रूज कैथेड्रल बेसिलिका को भी इसमें शुमार किया जा सकता है। कैथेड्रल फोर्ट भारत के प्राचीन चर्च में से एक है। इसका स्थान देश की मौजूदा आठ बेसिलिकाओं में है। मौलिकता बनाए रखने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा इसकी देखभाल की जाती है। इस इमारत में भित्ति चित्र और कैनवास पेंटिंग्स हैं, जो ईसा मसीह के जन्म और मृत्यु को प्रदर्शित करते हैं। यह इमारत चाइनीज नेट के नजदीक ही है।
फोकलोर म्यूजियम
अगर आपको केरल व दक्षिण भारत की लोक संस्कृति एक ही छत के नीचे देखनी है तो आप फोकलोर म्यूजियम जरूर जाएं। यह म्यूजियम बाहर से किसी राजा के महल-सा दिखाई देता है, जो पारंपरिक दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला का जीता- जागता नमूना है। केरल, मालाबार, कोंकण, त्रावणकोर और तमिलनाडु के कोने-कोने से एकत्रित की गई बेशकीमती कला यहां लाकर संजोई गई है। यह तीन तलों में बनी इमारत है, जिसके हर तल पर अलग-अलग जगहों से लाई गई एंटीक वस्तुओं का संग्रह है।
यहां भी है एक मरीन ड्राइव
कोच्चि मरीन ड्राइव में घूमते हुए आप कोच्चि के बैकवॉटर का आनंद ले सकते हैं। यह जगह मुंबई के मरीन ड्राइव से मिलती- जुलती है। हर शाम को सूर्यास्त का शानदार दृश्य देखने के लिए लोगों की भीड़ यहां एकत्रित होती है। यह एक लंबी सड़क है, जिसके एक किनारे पर समुद्र की लहरें होती हैं, तो दूसरे किनारे पर कई फास्टफूड जॉइंट्स।
सी फूड का मक्का
मूल रूप से मछुआरों का गांव होने के कारण कोच्चि में सी फूड की बहुलता देखने को मिलती है। अगर आप सी फूड के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिए बेहद उपयुक्त है। यहां शाम होते ही बीच के नजदीक खुले में सड़क किनारे फूड काउंटर खुल जाते हैं, जहां बैठकर आप सी फूड का आनंद ले सकते हैं। आप नजदीक ही चाइनीज नेट के पास बनी फिश मार्केट से ताजा फिश खरीद कर इन स्टॉल्स को दे सकते हैं। ये लोग आपके लिए लाइव कुकिंग कर ताजा भोजन परोसते हैं।
यहां आपको बिरयानी खानी है तो मटनचेरी में कईस की बिरयानी जरूर ट्राई करें। यह बिरयानी हैदराबादी या अन्य भारतीय बिरयानियों से अलग है। इस बिरयानी में आपको अरब देश का स्वाद मिलेगा। मालाबार से आए लोगों के साथ यहां उनका खाना और पाक कला पहुंची थी। इसीलिए यहां मालाबार प्रॉन करी बहुत मशहूर है। यहां मछली को तेज मसालों के साथ मेरिनेट करके फ्राई किया जाता है। अगर आप शुद्ध शाकाहारी हैं, तब भी यहां आपके खाने के लिए बहुत कुछ है। यहां के नाश्ते बड़े लजीज होते हैं, जैसे- पाजंपोरी, परिपूवादा, नेयपपम, कुजलपपम, उन्नियपपम, सुखियां और अचपपम, पुट्टू, कडाला आदि। इसके लिए महात्मा गांधी रोड पर पंडाल एक अच्छी जगह है।
खास है यह दावत
ब्लॉगर सुजीत भक्तन बताते हैं, ‘अगर आप शाकाहारी हैं तो आपके लिए यहां साल में एक बार बहुत बड़ा फेस्ट-आरन्मूला वल्लसाध्या 15 जुलाई से 2 अक्टूबर के बीच सरी पार्थसारथी टेंपल, अरन्मूला में होता है। इसमें भक्त अपने आराध्यदेव पार्थसारथी कृष्णा को महाभोज अर्पित करते हैं। इस भोज में 70 प्रकार की खाद्य सामग्री होती है।’ अगर आप भी ऐसी दिव्य दावत करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको पहले से बुकिंग करानी होगी। यह मंदिर कोच्चि से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
हेरिटेज शॉपिंग का आनंद
शॉपिंग के मामले में कोच्चि जहां हेरिटेज मार्केट के लिए जाना जाता है, वहीं आधुनिकता में भी यह किसी से पीछे नहीं है। फोर्ट कोच्चि से मटनचेरी तक के दो किलोमीटर के दायरे में फैला बाजार रोड हमेशा सैलानियों को लुभाता है। यहां से आप एंटीक सामान, फर्नीचर, कपड़े और केरल के शानदार खुशबूदार मसाले खरीद सकते हैं। दालचीनी, छोटी इलायची, जायफल, जावित्री और कालीमिर्च की ताजा-ताजा खुशबू आपको मोह लेगी। फोर्ट कोच्चि में सोवेनियर शॉप से छोटी हाउसबोट और कथकली का मुखौटा खरीदना न भूलें। अगर आप केरल की पारंपरिक गोल्डन जरी बॉर्डर वाली सफेद साड़ी खरीदना चाहते हैं तो महात्मा गांधी रोड मार्केट सबसे सही जगह है। देश का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल माना जाने वाले लूलू शॉपिंग मॉल कोच्चि में ही है।