कोरोना टीकाकरण अभियान अंतिम दौर में, मार्च में हो सकता है पूरा, पहले कराया जाएगा सिरो सर्वे, उसके बाद लिया जाएगा फैसला
पिछले एक साल से चल रहा कोरोना के खिलाफ दुनिया का सबसे टीकाकरण अभियान अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है और मार्च में इसका समापन हो सकता है लेकिन इसका फैसला पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर लिया जाएगा।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ पिछले साल शुरू हुआ टीकाकरण अभियान अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। मार्च तक यह अभियान पूरा भी हो सकता है। परंतु, कोई भी फैसला अगले महीने किए जाने वाले सीरो सर्वे के नतीजों के बाद ही लिया जाएगा। इसमें यह पता चलेगा कि तीसरी लहर के संक्रमण और बड़े पैमाने पर टीकाकरण के बाद कितने प्रतिशत लोगों में कोरोना की एंटीबाडी मौजूद है। पिछले साल 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था और अब तक 162 करोड़ से ज्यादा डोज लगाई जा चुकी हैं।
72 प्रतिशत से अधिक को लग चुकी है दोनों डोज
सरकार से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में ओमिक्रोन वैरिएंट के कम घातक होने की एक प्रमुख वजह सफल टीकाकरण अभियान भी है। पिछले एक साल में देश में 18 साल से अधिक उम्र के 92 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगा दी गई है। वहीं 72 प्रतिशत से अधिक ऐसे लोग हैं, जिन्होंने टीके की दोनों डोज ले ली है यानी उनका पूर्ण टीकाकरण हो गया है। इस आयुवर्ग के शेष लोगों के पूर्ण टीकाकरण के लिए लगभग 30 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी।
15 लाख को पहली डोज
इसी तरह से 15 से 18 वर्ष आयुवर्ग के लगभग साढ़े सात करोड़ किशोरों में चार करोड़ 15 लाख को पहली डोज लगा दी गई है। इनके पूर्ण टीकाकरण के लिए और लगभग 12 करोड़ डोज की जरूरत होगी। इसके अलावा लगभग लगभग 5.50 करोड़ स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंट लाइन वर्कर और गंभीर रोगों से ग्रस्त 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को सतर्कता डोज लगाने का काम तेजी से चल रहा हैं।
75 लाख से अधिक को सतर्कता डोज
इनमें भी 75 लाख से अधिक को सतर्कता डोज लगाई जा चुकी हैं। इस तरह सतर्कता डोज के लिए भी लगभग चार करोड़ और डोज की आवश्यकता होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 12 से 14 साल बच्चों के टीकाकरण के बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है।
पूर्ण टीकाकरण के लिए 45-47 करोड़ और डोज की जरूरत
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मौजूदा टीकाकरण अभियान के पूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए टीके की 45-47 करोड़ डोज की जरूरत होगी। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास अभी स्टाक में 13 करोड़ डोज हैं। यही नहीं, सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक हर महीने 30 करोड़ से अधिक डोज सप्लाई कर रही हैं। इस तरह फरवरी तक टीके की पर्याप्त डोज उपलब्ध हो जाएंगी।
सीरो सर्वे से लोगों में एंटीबाडी का पता चलेगा
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार फरवरी में पूरे देश में चौथा सीरो सर्वे कराने पर विचार किया जा रहा है। इससे लोगों में एंटीबाडी पर डाटा उपलब्ध हो जाएगा।
90-95 प्रतिशत लोगों में एंटीबाडी
आइसीएमआर का मानना है कि 90-95 प्रतिशत लोगों में एंटीबाडी मिलने की स्थिति में टीकाकरण अभियान को जारी रखने की जरूरत नहीं होगी। उनके अनुसार टीकाकरण और दूसरी व तीसरी लहर में सामान्य संक्रमण के कारण भारत में अधिकांश जनसंख्या कोरोना के खिलाफ हाइब्रीड इम्युनिटी से लैस होगी।
कोरोना के अब घातक होने का भी अंदेशा नहीं
आइसीएमआर के विज्ञानियों का मानना है कि ओमिक्रोन के बाद कोरोना और नए संक्रामक वैरिएंट आने के बाद भी स्थिति घातक होने की आशंका नहीं है। हालांकि, गंभीर रोगों से ग्रस्त कम जोर प्रतिरक्षा वालों को खतरा हो सकता है। इनके लिए टीके जरूरत तो होगी, लेकिन इसके लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके अलावा तब तक खुले बाजार में भी टीके उपलब्ध हो जाने की उम्मीद है।
दोनों वैक्सीन को दोनों को खुले बाजार में बेचने की अनुमति
विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने पहले ही कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों को खुले बाजार में बेचने की अनुमति देने की सिफारिश कर दी है। माना जा रहा है कि भारत के दवा महानियंत्रक यानी डीसीजीआइ से फरवरी में इसकी अनुमति भी मिल जाएगी।