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    कर्नाटक विधानसभा में मतांतरण विरोधी बिल पारित, धर्म परिवर्तन पर कैद की सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2022 04:30 AM (IST)

    नए बिल के अनुसार अगर कोई कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्म परिवर्तन कराता है तो इसमें 25 हजार रुपये के जुर्माने के साथ ही पांच साल की कैद की सजा होगी। एससी या एसटी का मतांतरण कराने वालों को तीन से दस साल की कैद।

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    मतांतरण विरोधी बिल कर्नाटक विधानसभा में पारित

    बेंगलुरु, एजेंसियां: कर्नाटक विधानसभा में मतांतरण विरोधी विधेयक बुधवार को पास हो गया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया। पिछले ही हफ्ते 15 सितंबर को इस बिल को मामूली संशोधन के साथ विधान परिषद में भी पारित किया जा चुका है। इससे पहले, कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने विधानसभा में ''धर्म की स्वतंत्रता के अधिकारों का कर्नाटक संरक्षण विधेयक, 2022'' को पेश किया। राज्यपाल की सहमति के बाद, कानून 17 मई, 2022 से प्रभावी होगा। इसी तारीख को अध्यादेश जारी किया गया था।

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    नए बिल के अनुसार अगर कोई कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में अवैध धर्म परिवर्तन कराता है तो इसमें 25 हजार रुपये के जुर्माने के साथ ही पांच साल की कैद की सजा होगी। एससी या एसटी का मतांतरण कराने वालों को तीन से दस साल की कैद और अधिकतम 50 हजार रुपये का जुर्माना भरना होगा। मतांतरण करवाने वाले अपराधियों को तीन से दस साल की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।

    विधानसभा में कांग्रेस नेता यूटी खादर ने कहा कि हर कोई जबरन मतांतरण का विरोध करता है। इस विधेयक को लाने का इरादा सही नहीं है। यह राजनीति से प्रेरित, अवैध और असंवैधानिक है। इसे अदालतों में चुनौती दी जाएगी। फिर अदालतें इस पर स्टे दे सकती हैं या इसे खत्म कर सकती हैं। कांग्रेस विधायक शिवानंद पाटिल ने कहा कि इस से दुरुपयोग होने की पूरी आशंका है। इससे लोगों का उत्पीड़न भी हो सकता है।

    विधेयक का बचाव करते हुए राज्य के गृह मंत्री ज्ञानेंद्र ने कहा कि विधेयक में दुरुपयोग या भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं है। यह किसी भी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है। उन्होंने बताया कि विधि आयोग के ऐसे विभिन्न कानूनों का अध्ययन करने के बाद मतांतरण विरोधी बिल लाया गया है। दिसंबर में ज्ञानेंद्र ने कहा था कि आठ राज्य इस तरह के कानून को पारित कर रहे हैं या लागू कर रहे हैं। इसी के साथ कर्नाटक नौवां राज्य हो जाएगा। इस बिल का विरोध ईसाई समुदाय के लोगों ने भी किया है।