Anti CAB Protest: सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान, नहीं करता कोई भुगतान; जानिए- क्या कहता है कानून
Anti CAB Protest सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को किसी बात का डर नहीं होता है। इसका कारण ज्यादातर मामलों में दोषी को सजा नहीं मिल पाना है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Anti CAB Protest देश भर में आए दिन कई प्रदर्शन होते हैं, जिनमें से बहुत से उग्र हो उठते हैं। इसका परिणाम हमारे सामने सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के रूप में सामने आता है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में देश के विभिन्न इलाकों में उग्र प्रदर्शन हुए हैं। कई जगहों पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। हालांकि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को किसी बात का डर नहीं होता है। इसका कारण ज्यादातर मामलों में दोषी को सजा नहीं मिल पाना है।
बंगाल और दिल्ली में नहीं छोड़ी कोई कोर कसर
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के हालिया मामले सीएए के बाद सामने आए हैं। ताजा उदाहरण दिल्ली का है। जहां पर रविवार को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पुलिस-जनता आमने-सामने हो गए। इस दौरान डीटीसी की बसों, निजी वाहनों और पुलिस की मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया गया या उनमें जमकर तोड़फोड़ की गई। वहीं बंगाल में भी प्रदर्शनकारियों ने इस कानून के विरोध में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी तो आसाम भी अछूता नहीं रहा। यहां तीन रेलवे स्टेशनों, बस टर्मिनल, एक पोस्ट ऑफिस और एक बैंक के साथ वाहनों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया।
अपनी संपत्ति, अपना नुकसान
सार्वजनिक संपत्ति को लेकर सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जो लोग अपने खून-पसीने की कमाई से सार्वजनिक संपत्ति के निर्माण में अहम योगदान देते हैं, वही इसे नुकसान भी पहुंचाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि सार्वजनिक संपत्ति और वाहनों के विनाश के लिए कोई भी भुगतान नहीं करता है।
दोषसिद्धि की कम दर
सार्वजनिक संपत्ति तोड़फोड़ के मामलों में दोषसिद्धि की दर 29.8 फीसद है। यह बताता है कि आखिर क्यों सार्वजनिक संपत्ति को होने वाले नुकसान के लिए कोई भी भुगतान नहीं करता है। 2017 के आखिर तक सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के 14 हजार से ज्यादा मामले विभिन्न अदालतों में लंबित थे। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तमिनलाडु ऐसे राज्य हैं, जहां पर इस तरह के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इन तीनों राज्यों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कुल 6 हजार मामले सामने आए हैं, जो चिंताजनक हैं।
यह कहता है कानून
सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के अनुसार, जो कोई भी सार्वजनिक संपत्ति को अपने किसी भी कृत्य द्वारा नुकसान पहुंचाता है, उसे पांच साल तक की सजा और जुर्माने देना पड़ सकता है। सार्वजनिक संपत्ति के रूप में ऐसे भवन, प्रतिष्ठान अथवा अन्य संपत्ति को माना गया है जिसका उपयोग जल, प्रकाश, शक्ति या ऊर्जा उत्पादन या वितरण में किया जाता है। इसके साथ ही कोई तेल प्रतिष्ठान, सीवेरज, खान या कारखाना या फिर कोई लोक परिवहन या दूरसंचार साधन या उसके उपयोग के लिए कोई भवन, प्रतिष्ठान या संपत्ति भी सार्वजनिक संपत्ति में आते हैं। वहीं अग्नि अथवा किसी विस्फोटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को दस वर्ष के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।