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    अंडमान- निकोबार द्वीप समूह के आदिवासियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं मानवविज्ञानी, विलुप्‍त होने का खतरा

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Sat, 28 Mar 2020 11:51 PM (IST)

    कोविड-19 के छह मामलों का पता चलने के बाद प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।

    अंडमान- निकोबार द्वीप समूह के आदिवासियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं मानवविज्ञानी, विलुप्‍त होने का खतरा

    कोलकाता, प्रेट्र।  कोविड-19 के छह मामलों का पता चलने के बाद प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। इन द्वीपों पर रहने वाले विलुप्त हो रहे पांच आदिवासी समूहों को लेकर भय पैदा हो गया है। न्यून इम्यूनिटी होने के कारण डर है कि यदि ये इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आ गए तो उनका अस्तित्व मिट जाएगा।

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    महामारी फैलने पर इनके उन्‍मूलन का डर  

    एक साथ इन आदिवासियों की कुल संख्या 1000 से भी कम है। ये बाहरी दुनिया से अलग-थलग हैं और इनका इम्यूनिटी स्तर अत्यंत न्यून है। मानवविज्ञानियों को द्वीप समूह में महामारी फैलने पर इनके उन्मूलन का डर है। अंडमान एवं निकोबार 572 द्वीपों का समूह है। बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर स्थित इन द्वीपों में से केवल 37 पर ही लोग निवास करते हैं। कोरोना वायरस से संक्रमण के सभी छह मामले पोर्ट ब्लेयर क्षेत्र में पाए गए हैं।

    सतर्कता के सभी कदम उठाने का आश्वासन

    केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने इन आदिवासियों को कोरोना वायरस से संरक्षित रखने के लिए सतर्कता के सभी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। लेकिन मानवविज्ञानियों को इस बात की आशंका है कि बाहरी दुनिया से संपर्क में आने से ये संक्रमित हो सकते हैं।

    पांच विलुप्त हो रहे आदिवासियों का है निवास   

    यह द्वीप समूह दुनिया में पांच विलुप्त हो रहे आदिवासियों ग्रेट अंडमानी, जारावा, ओंगे, शोंपेन और सेंटिनेली का निवास है। हजारों वर्षों से ये अलग-थलग रह रहे हैं और बाहरी दुनिया से इनका संपर्क बहुत कम या बिल्कुल नहीं है। द्वीप समूह पर इनकी कुल आबादी 900 के आसपास है। भारतीय मानविकीय सर्वेक्षण (एएसआइ) के अनुसार ग्रेट अंडमानी आदिवासियों की संख्या करीब 60, ओंगे 124, सोंपेन 200, जारावा 520 और सेंटिनेली 60 हैं।

    आदिवासियों के पूर्ण आइसोलेशन के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं

    मशहूर मानवविज्ञानी मधुमाला चट्टोपाध्याय बाहरी दुनिया की ऐसी पहली महिला हैं जो जारावा और सेंटिनेली से संपर्क साधने में कामयाब हुई थीं। उनका मानना है कि यदि संरक्षण के कदम नहीं उठाए गए तो उनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। उनके पूर्ण आइसोलेशन के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। जहां वे रहते हैं उसे पूरी तरह से लॉकडाउन किया जाना चाहिए। क्षेत्र का सर्वे करने वाले दूसरे मानवविज्ञानी कंचन मुखोपाध्याय ने भी चट्टोपाध्याय से सहमति जताई है।