बड़े जन आंदोलन के बाद भाषाई आधार पर बनने वाला पहला राज्य था आंध्र प्रदेश, इसके बाद बन कई दूसरे राज्य
भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की मांग आजादी से पहले से ही उठती रही है। लेकिन ये मांग पहली बार आंध्र प्रदेश के गठन के साथ पूरी हुई थी। 1 नवंबर को जबरदस्त मांग और प्रदर्शन के बाद इसके गठन का सपना सच हुआ था।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। दक्कन भाषा के आधार पर एक नए राज्य की मांग उस वक्त पूरी हुई जब 1 नवंबर 1953 को मद्रास से अलग कर एक नया राज्य बना दिया गया। इसको नाम दिया गया आंध्र प्रदेश। इसको मद्रास से 14 जिले अलग कर बनाया गया था। हालांकि इसकी मांग को पुरजोर तरीके से उठाने वाले पोट्टी श्रीमालू इस पल को देखने के लिए उस वक्त जिंदा नहीं बचे थे। 53 दिनों के अनशन के बाद 15 दिसंबर 1952 को उनकी मौत हो गई थी। इसकी मांग को लेकर यहां पर छात्रों का बेहद उग्र आंदोलन चला था। हालांकि नए राज्य के गठन की मांग करने वाले चाहते थे कि तेलुगू भाषा के आधार पर जो राज्य बने उसका नाम तलंगाना रखा जाए। उनका ये सपना 2 जून 2014 को पूरा हुआ था। आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना राज्य बनाया गया। आपको बता दें कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम जुलाई 1956 ई० में पास किया गया था।
भाषाई आधार पर अलग राज्य की मांग बेहद पुरानी रही है। इस मांग को लेकर संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रिटायर जज एसके धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग की नियुक्ति की थी। इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्य गठन के प्रस्ताव का विरोध किया था। इसके बाद कांग्रेस कार्य समिति ने अपने जयपुर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू, बल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैय्या की एक समिति ने भी इसको सही मानते हुए भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को खारिज कर दिया था। इसके बाद ही मद्रास राज्य के तेलगु-भाषियों नें पोटी श्री रामुल्लू के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया था। हालांकि कांग्रेस ने 1917 के अपने मेनिफेस्टो में आजादी के बाद भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की बात कही थी।
आजादी के बाद महात्मा गांधी ने इस मांग को पूरा करने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को कहा भी था। लेकिन तब तक उनकी राय बदल चुकी थी। उनका मानना था कि देश धर्म के नाम पर बंट चुका है ऐसे में भाषा के आधार पर राज्य बनाने से देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंच सकता है। नेहरू के समर्थन में उस वक्त सरदार पटेल सी राजगोपालचारी समेत दूसरे कई नेता भी थे। वहीं अंबेडकर चाहते थे कि भाषा के आधार पर राज्यों का गठन किया जाए। उन्होंने एक भाषा एक राज्य का प्रस्ताव भी दिया था। उन्होंने ही महाराष्ट्र राज्य के गठन की बात भी कही थी जिसकी राजधानी तत्कालीन बंबई को बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। हालांकि उनके इस प्रस्ताव पर कई लोग असहमत थे। इसके बाद भाषा के आधार पर शुरू हुई मांग और तेज हो गई। 1966 में जबरदस्त आंदोलन के बाद पंजाब अस्तितित्व में आया।
1 मई, 1960 ई० को मराठी एवं गुजराती भाषियों के बीच संघर्ष के कारण बंबई राज्य का बंटवारा करके महाराष्ट्र और गुजरात राज्य का गठन किया गया। इसी तरह से नागा आंदोलन के बाद 1 दिसंबर, 1963 को असम का विभाजन कर नागालैंड बनाया गया। 1 नवंबर,1966 ई० में पंजाब को विभाजित करके हरियाणा का गठन किया गया। 25 जनवरी, 1971 ई० को हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 21 जनवरी, 1972 ई० मणिपुर, त्रिपुरा एवं मेघालय को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया। 26 अप्रैल,1975 ई० सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना। 20 फरवरी, 1987 ई० में मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 30 मई, 1987 ई० में गोवा को 25वां राज्य का दर्जा दिया गया। 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ 26वां राज्य, 9 नवंबर 2000 में उत्तरांचल देश का 27वां राज्य, 15 नवंबर 2000 को झारखंड 28वां राज्य और 02 जून 2014 को तेलंगाना को भारत का 29वां राज्य बनाया गया था।
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