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आंध्र प्रदेश: दुष्‍कर्म मामले में दोषियों को मिलेगी मौत की सजा, विधानसभा में पारित हुआ दिशा बिल

तेलंगाना दुष्‍कर्म मामले के बाद आंध्र प्रदेश विधानसभा ने ‘दिशा बिल’ पारित किया है जिसमें दोषियों को मौत की सजा देने की खुली छूट है।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 03:04 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 04:32 PM (IST)
आंध्र प्रदेश: दुष्‍कर्म मामले में दोषियों को मिलेगी मौत की सजा, विधानसभा में  पारित हुआ दिशा बिल
आंध्र प्रदेश: दुष्‍कर्म मामले में दोषियों को मिलेगी मौत की सजा, विधानसभा में पारित हुआ दिशा बिल

हैदराबाद, एएनआइ। आंध्र प्रदेश विधानसभा (Andhra Pradesh Assembly) में शुक्रवार को एक अहम विधेयक पारित हुआ। पारित हुए 'आंध्र प्रदेश दिशा बिल 2019' (Andhra Pradesh Criminal Law (Amendment) Act 2019) के अनुसार, दुष्‍कर्म और सामूहिक दुष्‍कर्म के दोषियों को मौत की सजा देने की छूट है। साथ ही इन मामलों की सुनवाई 21 दिनों के भीतर खत्‍म करना होगा।

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विधेयक का नाम 'दिशा'

तेलंगाना दुष्‍कर्म मामले को पुलिस ने 'दिशा केस' नाम दिया। इसके बाद दुष्‍कर्म मामले में आए इस बिल को 'दिशा' नाम दिया गया है। साथ्‍ा ही एक अन्‍य कानून को भी मंजूरी दी गई जो महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ

अत्याचार के मामलों में मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाएगा।

दिशा विधेयक के प्रावधान

महिलाओं की सुरक्षा के लिए लाया गया यह विधेयक आरोपियों को जल्‍द सजा दिलाने का मार्ग प्रशस्‍त करता है। इसके लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाएगा और मामले के आरोपियों को 21 दिन के भीतर सजा दी जाएगी।

गृहमंत्री ने पेश किया बिल

आंध्र प्रदेश विधानसभा ने दिशा विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है। विधानसभा में गृहमंत्री मेकतोटी सुचरिता ने यह विधेयक पेश किया और कहा कि यह महिलाओं की सुरक्षा को ध्‍यान में रखकर लाया गया है। तेलंगाना दुष्‍कर्म मामले को देखते हुए मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिशा विधेयक 2019 को पेश किया। महिलाओं पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

तेलंगाना मामले के बाद आया कड़ी सजा का प्रावधान

इस माह के शुरुआत में तेलंगाना  की पशु चिकित्‍सक के साथ दुष्‍कर्म हुआ और मामले के चारों आरोपियों को हैदराबाद पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। अब आरोपियों के एनकाउंटर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई हैं। इसलिए मामले की जांच को कोर्ट तीन सदस्‍यीय जांच आयोग के जिम्‍मे सौंप दी। साथ ही 6 माह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।  इस आयोग का नेतृत्‍व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज वीएस सिरपुरकर करेंगे।


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