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    चाहरदीवारी के भीतर हुई घटना 'पब्लिक व्यू' नहीं माना जा सकता, एससी-एसटी मामले में राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 02:39 AM (IST)

    अगर कोई घटना बंद दुकान या घर की चाहरदीवारी के भीतर होती है तो उसे 'पब्लिक व्यू' में नहीं माना जा सकता। जो इस एक्ट के लिए अनिवार्य शर्त है।'' यह कहते ह ...और पढ़ें

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    एससी-एसटी मामले में राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, जोधपुर। अगर कोई घटना बंद दुकान या घर की चाहरदीवारी के भीतर होती है तो उसे 'पब्लिक व्यू' में नहीं माना जा सकता। जो इस एक्ट के लिए अनिवार्य शर्त है।'' यह कहते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने अपने जजमेंट में एससी-एसटी मामले में निचली अदालत के 31 साल पुराने फैसले को पलट दिया।

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    कोर्ट के जज फरजंद अली ने फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि दो व्यक्तियों के बीच निजी या व्यावसायिक लेन-देन के विवाद को एससी-एसटी एक्ट का रूप देना कानून का सरासर गलत इस्तेमाल है। कोर्ट ने 1994 में निचली अदालत की ओर से सुनाई गई सजा को रद करते हुए आरोपी शोरूम मालिक को बरी कर दिया।

    कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने एक निजी विवाद में एससी-एसटी कानून के कड़े प्रविधान लागू करके कानून का गलत इस्तेमाल किया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि कथित जातिसूचक अपमान या गाली किसी बंद दुकान, शोरूम या चाहरदीवारी के भीतर हुई हो, जहां आम जनता की मौजूदगी या दृश्यता न हो, तो उसे कानून की दृष्टि में 'सार्वजनिक दृष्टि में' किया गया कृत्य नहीं माना जा सकता।

    मामला एक वाहन शोरूम संचालक से जुड़ा था, जिस पर आरोप था कि उसने एक ग्राहक के साथ जातिसूचक गाली-गलौज और मारपीट की। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को एससी-एसटी एक्ट की धारा के तहत दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने अपील में खारिज कर दिया।