एक ऐसा आइडिया जिससे हमेशा के लिए सुलझ सकता है कावेरी विवाद
कावेरी जल विवाद सुलझाने के लिए इजरायल ने कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों राज्यों को पानी की कम खपत वाली फसलों पर ध्यान देने का सुझाव दिया है।
नई दिल्ली। कावेरी जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में लड़ाई नयी बात नहीं है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक जल उठा था। कर्नाटक के किसानों ने कहा कि उनकी कीमत पर तमिलनाडु को पानी देना कहां तक उचित है। कर्नाटक विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर ये कहा गया कि कावेरी का पानी सिर्फ पीने के लिए इस्तेमाल होना चाहिए।
लेकिन इस विवाद को सुलझाने के लिए इजरायल ने एक विचार को लागू करने का सुझाव दिया है। इजरायली विशेषज्ञों का कहना है कि कावेरी जल का विवाद सुलझ सकता है, अगर दोनों राज्यों को अपने यहां पारंपरिक खेती की जगह कम पानी की खपत वाली खेती पर ध्यान देना चाहिए। दरअसल कर्नाटक के किसानों द्वारा अपने इलाके में गन्ने की खेती की जाती है। वहीं तमिलनाडु के किसान धान की खेती करते हैं। इन दोनों फसलों में पानी की खपत ज्यादा होती है। इजरायली विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों राज्यों के किसानों को ज्वार की खेती पर बल देना चाहिए क्योंकि इसमें पानी की खपत कम होती है।
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इजरायली जानकारों का ये भी मानना है कि दोनों राज्यों के किसानों को सिंचाई की पारंपरिक प्रणाली की जगह ड्रिप इरीगेशन पर ध्यान देने की जरूरत है। इजरायल ने ओपन टू डोर कार्यक्रम के तहत आधुनिक सिंचाई के यंत्रों की प्रदर्शनी भी लगायी। इजरायल को पीने के पानी का सामना करना पड़ता था। खेती के लिए वहां के किसानों के पास पानी की हमेशा किल्लत बनी रहती थी। लेकिन आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के साथ इजरायल अब पानी से संपन्न राष्ट्र बन चुका है। इजरायल की तकनीक को पराग्वे और अमेरिका के कई हिस्सों में आजमाया जा चुका है और उसके बेहतर परिणाम भी देखने को मिले हैं।
गौरतलब है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की कमी का कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों राज्यों को सामना करना पड़ा है। तमिलनाडु सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को पहले 10 दिन तक हर रोज 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया था। लेकिन कोर्ट के आदेश का कर्नाटक के किसानों ने हिंसक विरोध-प्रदर्शन किया था।
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