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कच्‍छ से कटरा तक भूकंप से दहशत, गुजरात में 5.5 तो जम्‍मू-कश्‍मीर में 3.0 मापी गई तीव्रता

Earthquake in Gujarat and Jammu Kashmir गुजरात में 5.5 जबकि जम्‍मू-कश्‍मीर में 3.0 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। व‍िस्‍तृत जानकारी के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 08:30 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 03:25 AM (IST)
कच्‍छ से कटरा तक भूकंप से दहशत, गुजरात में 5.5 तो जम्‍मू-कश्‍मीर में 3.0 मापी गई तीव्रता
कच्‍छ से कटरा तक भूकंप से दहशत, गुजरात में 5.5 तो जम्‍मू-कश्‍मीर में 3.0 मापी गई तीव्रता

राजकोट/कटरा, जेएनएन/एजेंसियां। Earthquake in Gujarat and Jammu Kashmir : गुजरात 20 साल बाद रविवार रात 8.13 बजे भूकंप से थर्राया गया। नेशनल सेंटर फॉर सिस्‍मोलॉजी ने भूकंप की तीव्रता 5.5 बताई है। इसका केंद्र भी कच्छ का भचाउ क्षेत्र था जो 2001 में आए विनाशकारी भूकंप के नजदीक ही बताया जा रहा है। अहमदाबाद, पाटण, मेहसाणा, राजकोट, भावनगर, जूनाग़़ढ, वलसाड सहित राज्य के करीब 20 जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके अलावा जम्‍मू-कश्‍मीर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। 

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जम्‍मू-कश्‍मीर में भी झटके 

इसके अलावा जम्‍मू-कश्‍मीर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, जम्‍मू-कश्‍मीर के कटरा में रविवार को रात 8:35 बजे 3.0 तीव्रता का झटका महसूस किया गया। बताया जाता है कि जम्‍मू-कश्‍मीर में भूकंप का केंद्र कटना से 90 किलोमीटर पूरब में था। इससे पहले जम्‍मू-कश्‍मीर में मंगलवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए थे जिसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.9 मापी गई थी।

मुख्‍यमंत्री ने ली हालात की जानकारी 

सौराष्ट्र, उतर गुजरात, मध्य और दक्षिण गुजरात में भूकंप के दो झटके महसूस किए गए जो करीब चार सेकंड तक रहे। भूकंप के झटकों से लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र राजकोट से 122 किलोमीटर दूर कच्छ के भचाउ में करीब 10 किलोमीटर जमीन के भीतर बताया गया है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भूकंप के झटकों के तुरंत बाद राजकोट, कच्छ और पाटण के जिला कलेक्टरों से फोन पर बात करके हालात की जानकारी ली। संबंधित जिलों में डिजास्टर मैनेजमेंट के सेल के कंट्रोल रूम को अधिक सक्रिय करने के भी निर्देश दिए गए। 

2001 में 13 हजार लोगों की हो गई थी मौत 

भूकंप से उत्‍तर गुजरात के पाटण और मेहसाणा में कई घरों की दीवारों में दरारें पड़ने की खबरें हैं। हालांकि किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है। बताया जाता है कि भूकंप का सबसे ज्यादा असर कच्छ में देखा गया जहां 10 सेकंड तक लोगों ने झटके महसूस किए। मालूम हो कि 19 साल पहले यानी 26 जनवरी 2001 को कच्छ के भुज में 7.7 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था जिसमें 13 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। भूकंप के झटके जामनगर, सुरेंद्रनगर और जूनागढ़ में भी महसूस किए गए। 

बीते दो महीनों में कई झटके 

बीते दो महीनों के दौरान दिल्‍ली एनसीआर में भी 12 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।बीते दिनों दिल्‍ली एनसीआर के अलावा देश के विभिन्‍न इलाकों में भी भूकंप के कई झटके महसूस किए गए हैं। बार बार आ रहे भूकंप के झटकों के चलते लोगों में भी दहशत का आलम है। विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार आ रहे भूकंपों की एक बड़ी वजह धरती की सूखती कोख भी है। भूजल स्तर में लगातार आ रही गिरावट से धरती के भीतर स्थित फाल्ट लाइनों का लोड असंतुलित हो रहा है।

झटके दे रही प्रकृति

कोरोना संकट के बीच प्रकृति भी रुक रुक कर झटके दे रही है। भारत में निसर्ग, अम्फान जैसे चक्रवात और दिल्ली-एनसीआर में झटकों के बाद गुजरात में आया भूकंप इसका आभास करा रहा है। वैसे भारत के अलावा दुनिया के तीन मुल्‍कों में अलग अलग वक्‍त पर भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए। तुर्की में 5.7 तीव्रता का तगड़ा झटका महसूस किया गया जबकि ताइवान में 5.6 तीव्रता के झटके महसूस किए गए। जापान में भी 6.3 तीव्रता का तगड़ा झटका महूसस किया गया। हालांकि इन तीनों भूकंपों की टाइमिंग अलग अलग थी। 

तुर्की में तीन घायल 

पूर्वी तुर्की के बिंगोल प्रांत में आए भूकंप में तीन लोग घायल हो गए हैं। भूकंप का केंद्र बिंगोल के कार्लियोवा ज‍िले में था। वहीं ताइवान में आए भूकंप का केंद्र धरती के 55 किलोमीटर की गहराई में था। दूसरी ओर जापान में आए भूकंप का केंद्र 160 किलोमीटर की गहराई में था। हालांकि उक्‍त तीनों भूकंपों में किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है। 

प्‍लेटों के बीच टकराव 

वैसे वैज्ञानिक हाल‍िया आए भूकंपों को लेकर दूसरे पहलुओं पर भी अध्‍ययन कर रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि धरती का वजूद सात टेक्टोनिक प्लेटों पर टिका है और जब प्लेटें जब आपस में टकराती हैं या धरती के गर्भ में कुछ हलचल होती है तो भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए जाते हैं। भारत इंडो आस्ट्रेलियन प्लेट पर टिका है। विशेषज्ञों की मानें तो देश में भूकंप की वजह इस प्लेट का यूरेशियन प्लेट से टकराना भी है। फाल्ट लाइनों की एडजस्टमेंट के कारण भी भूकंप आते हैं। 


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