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    अमित शाह ने की त्रिपुरा के सीएम के साथ ब्रू समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा, मिजोरम से विस्थापितों के पुनर्वास की योजना

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Wed, 21 Sep 2022 04:30 AM (IST)

    त्रिपुरा में पुनर्वासित परिवारों की संख्या 6959 है। इनमें से अब तक 3696 परिवारों का पुनर्वास किया जा चुका है और शेष पुनर्वास की प्रक्रिया में हैं। वैसे ब्रू लोगों की कुल आबादी 37136 है। अब तक 2407 ब्रू परिवारों के लिए मकानों का निर्माण पूरा हो चुका है।

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    अमित शाह ने की ब्रू समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा

    नई दिल्ली, एजेंसियां: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा के साथ ब्रू समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा की। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला के साथ केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। जनवरी 2020 में समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद मिजोरम से विस्थापित हुए ब्रू लोगों का त्रिपुरा में पुनर्वास सुनिश्चित किया जा रहा है। प्रत्येक परिवार के पुनर्वास के लिए एक व्यापक पैकेज प्रदान किया गया है।

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    छह हजार से अधिक है पुनर्वासित परिवारों की संख्या

    त्रिपुरा में पुनर्वासित परिवारों की संख्या 6,959 है। इनमें से अब तक 3,696 परिवारों का पुनर्वास किया जा चुका है और शेष पुनर्वास की प्रक्रिया में हैं। वैसे ब्रू लोगों की कुल आबादी 37,136 है। अब तक 2,407 ब्रू परिवारों के लिए मकानों का निर्माण पूरा हो चुका है। ब्रू परिवारों के लिए त्रिपुरा के स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (पीआरटीसी), अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र आदि भी जारी किए जा रहे हैं।

    जानिये कौन हैं ब्रू शरणार्थी

    ब्रू जनजाति के लोग मूल रूप से मिजोरम के आदिवासी हैं। 1996 में वहां हुई हिंसा के बाद इन्होंने त्रिपुरा के कंचनपुरा ब्लाक के डोबुरी गांव में शरण ले ली थी। दो दशक से ज्यादा समय से वहां रहने और अधिकारों की लड़ाई लड़ने के बाद इन्हें यहीं बसाने पर समझौता हुआ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और ब्रू शरणार्थियों के प्रतिनिधियों ने 2020 में त्रिपुरा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा की मौजूदगी में दिल्ली में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उनके लिए 600 करोड़ रुपये का पुनर्वास योजना पैकेज जारी करने का ऐलान किया गया था। यहां ये भी बता दें कि इनको त्रिपुरा में बसाने को लेकर स्थानीय लोगों ने जबरदस्त विरोध किया था। हिंसक आंदोलन हुआ था।