Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Amit Shah Fake Video: अरुण रेड्डी के लैपटॉप व मोबाइल का डेटा रिकवर करेगी पुलिस, डिवाइस की हो रही फॉरेंसिक जांच

    Updated: Mon, 06 May 2024 12:05 AM (IST)

    जांच में सामने आया कि कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम के राष्ट्रीय समन्वयक अरुण बी रेड्डी ने गिरफ्तार होने से पहले अपने लैपटॉप और मोबाइल का डाटा डिलीट कर दिया था। स्पेशल सेल उसके मोबाइल और लैपटॉप का डाटा रिकवर करने का प्रयास कर रही है ताकि पता चल सके कि फेक वीडियो उसने खुद से बनाया था या उसके किसी अन्य साथी ने बनाया और उसे भेजा।

    Hero Image
    कांग्रेस नेता अरुण बी रेड्डी से बरामद मोबाइल और लैपटॉप की जांच की जा रही है।

    जागरण संवादाता, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फेक वीडियो मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किए गए कांग्रेस नेता अरुण बी रेड्डी तीन दिन के लिए पुलिस रिमांड पर हैं। पुलिस पूछताछ में जानने की कोशिश कर रही है कि वीडियो किसने और कब बनाया था। फेक वीडियो एक्स पर पोस्ट करने के पीछे मकसद क्या था? रेड्डी से बरामद मोबाइल और लैपटॉप की जांच की जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जांच में सामने आया कि कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम के राष्ट्रीय समन्वयक अरुण बी रेड्डी ने गिरफ्तार होने से पहले अपने लैपटॉप और मोबाइल का डाटा डिलीट कर दिया था। स्पेशल सेल उसके मोबाइल और लैपटॉप का डाटा रिकवर करने का प्रयास कर रही है, ताकि पता चल सके कि फेक वीडियो उसने खुद से बनाया था या उसके किसी अन्य साथी ने बनाया और उसे भेजा। आरोपित के फोन और लैपटॉप को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।

    रेड्डी की कॉल डिटेल और लोकेशन भी निकाली जा रही है, जिससे पता लगाया जाएगा कि फेक वीडियो को पोस्ट करने से पहले आरोपित किस-किस के संपर्क में था।

    क्या है पूरा मामला?

    तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव से पहले एक फेक वीडियो के माध्यम से भाजपा को एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का विरोधी साबित करने की कोशिश की गई। फेक वीडियो में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए उसे खत्म करने का एलान करते दिखाया गया था, जबकि असली वीडियो में शाह एसटी, एससी और ओबीसी आरक्षण को बनाए रखने की बात कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर गृह मंत्री का फेक वीडियो प्रसारित होने का मामला संज्ञान में आने के बाद गृह मंत्रालय ने 28 अप्रैल को आईएफएसओ को शिकायत दी थी, जिसके बाद पुलिस तुरंत जांच में जुट गई थी।