Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हमारी चुनाव प्रक्रिया में अमेरिकी एजेंसी कर रही हस्तक्षेप, MEA ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर USCIRF की रिपोर्ट को किया खारिज

    Updated: Thu, 02 May 2024 11:45 PM (IST)

    यह पहला मौका है जब भारत ने किसी अमेरिकी एजेंसी पर लोकतांत्रिक तरीके से होने वाली चुनावी प्रक्रिया में अमेरिकी एजेंसी की तरफ से हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। यह अमेरिकी एजेंसियों को लेकर भारत के बदले रवैये को भी बताता है। अमेरिका भारत का एक अहम रणनीतिक साझेदार देश है। हाल के वर्षों में भारत के द्विपक्षीय रिश्तों में जितनी गहराई अमेरिका के साथ आई है।

    Hero Image
    भारत ने यूएससीआईआरएफ को राजनीतिक एजेंडे वाला पक्षपाती संगठन करार दिया है।

    जयप्रकाश रंजन, जागरण, नई दिल्ली। अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया के दौरान वहां के राजनीतिक दल और राजनेता कभी रूस तो कभी चीन पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब भारत सरकार ने अमेरिका की एक प्रतिष्ठित एजेंसी यूएससीआईआरएफ (अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग) पर भारत में जारी चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का आरोप जड़ दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत के विदेश मंत्रालय ने यह आरोप एक दिन पहले यूएससीआईआरएफ की तरफ से धार्मिक आजादी पर जारी रिपोर्ट के संदर्भ में लगाया है। रिपोर्ट में भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए इसकी स्थिति लगातार खराब होने की बात कही गई है। भारत ने यूएससीआईआरएफ को राजनीतिक एजेंडे वाला पक्षपाती संगठन करार दिया है और सालाना स्तर पर जारी होने वाली इस रिपोर्ट को राजनीतिक प्रोपेगंडा कहा है।

    भारत की तरफ से यह तल्ख प्रतिक्रिया विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस कान्फ्रेंस में दी। उन्होंने कहा, "यूएससीआईआरएफ को राजनीतिक एजेंडे वाले पक्षपाती संगठन के रूप में जाना जाता है। इसने वार्षिक रिपोर्ट के हिस्से के रूप में भारत के बारे में अपना दुष्प्रचार प्रकाशित करना जारी रखा है। हमें वास्तव में ऐसी उम्मीद भी नहीं है कि यह आयोग भारत की विविधतापूर्ण, बहुलतावादी और लोकतांत्रिक मूल-भावना को समझने की कोशिश भी करेगा। उनके द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के लिए किए गए प्रयास कभी सफल नहीं होंगे।"

    यह पहला मौका है जब भारत ने किसी अमेरिकी एजेंसी पर लोकतांत्रिक तरीके से होने वाली चुनावी प्रक्रिया में अमेरिकी एजेंसी की तरफ से हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। यह अमेरिकी एजेंसियों को लेकर भारत के बदले रवैये को भी बताता है। अमेरिका भारत का एक अहम रणनीतिक साझेदार देश है।

    हाल के वर्षों में भारत के द्विपक्षीय रिश्तों में जितनी गहराई अमेरिका के साथ आई है, वैसा किसी भी दूसरे देश के साथ देखने को नहीं मिला है। लेकिन भारत अब अमेरिका या कुछ दूसरे पश्चिमी देशों की एजेंसियों की तरफ से उसके मानवाधिकार या धार्मिक आजादी या प्रेस की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे के जरिये किए जाने वाले हस्तक्षेप को लेकर सख्ती से जवाब देने की नीति अपना रहा है।

    भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में दैनिक जागरण को दिए गए एक साक्षात्कार में इस बात की तरफ इशारा किया था। जयशंकर ने कहा था, "लोकतंत्र, मानवाधिकार, मीडिया की फ्रीडम व भूख जैसे मुद्दे पर हमें निशाना बनाया जाता है। कुछ सरकारों की आदत होती है कि वह दूसरों से जुड़े हर मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हैं। यह सही तरीका नहीं है। सार्वजनिक तौर पर हमने इस पर अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है। आज का भारत अब एक गाल पर तमाचा मारने पर दूसरा गाल आगे नहीं बढ़ाता। अगर वह प्रतिक्रिया दे सकते हैं तो हम भी दे सकते हैं। लोगों को यह याद रखना चाहिए कि विदेश के मामले में दखल देने की यह आदत उलटी भी पड़ सकती है।"

    जहां तक यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट की बात है तो इसमें भारत में धार्मिक स्थिति को लेकर काफी विवादास्पद टिप्पणी की गई है। इसमें भारत को अफगानिस्तान, अजरबैजान, नाइजीरिया, वियतनाम जैसे देशों की श्रेणी में रखा गया है और अमेरिकी विदेश मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि भारत को भी धार्मिक आजादी को लेकर खास चिंता वाले देश (सीपीसी) की श्रेणी में रखा जाए। इस श्रेणी में रखे जाने वाले देशों को लेकर अमेरिकी प्रशासन का रवैया अलग होता है। उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था है।

    comedy show banner