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    आंकड़े दिखाते हैं अमेरिकी दादागीरी की स्पष्ट तस्वीर, ट्रंप के नेतृत्व में यूएस का बढ़ रहा व्यापार घाटा

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 02:32 AM (IST)

    राष्ट्रपति ट्रंप अपनी निजी खुंदक में भारत पर भारी भरकम टैरिफ थोप चुके हैं लेकिन आज तक वे इसकी वाजिब वजह नहीं बता सके हैं। कभी रूसी तेल आयात के बदले भारत का यूक्रेन युद्ध में रूस के समर्थन का आरोप लगाते हैं तो कभी भारत से होने वाले भारी-भरकम व्यापार घाटे को इसकी वजह बताते हैं। अमेरिका का व्यापार घाटा साल दर साल बढ़ भी रहा है।

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    ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका का बढ़ रहा व्यापार घाटा (फोटो- रॉयटर)

     जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। जबरा मारे और रोने भी न दे। टैरिफ वार के मद्देनजर भारत सहित दुनिया के कई देशों के प्रति अमेरिकी रुख कम से कम इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप अपनी निजी खुंदक में भारत पर भारी भरकम टैरिफ थोप चुके हैं, लेकिन आज तक वे इसकी वाजिब वजह नहीं बता सके हैं।

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    ट्रंप की खूब हो रही आलोचना

    कभी रूसी तेल आयात के बदले भारत का यूक्रेन युद्ध में रूस के समर्थन का आरोप लगाते हैं तो कभी भारत से होने वाले भारी-भरकम व्यापार घाटे को इसकी वजह बताते हैं। जबकि उनके ही देश के लोग उनके इस कदम की न सिर्फ मुखर आलोचना कर रहे हैं बल्कि इस गलत कदम के लिए उनको भला-बुरा भी कहा जा रहा है।

    रूस के तेल आयात से जुड़े ट्रंप के आरोपों को भारत सरकार न जाने कितनी बार खारिज कर चुकी हैं और अपने तर्कों के साथ स्पष्टीकरण दे चुकी है। उनके व्यापार घाटे से जुड़े आरोप की आंकड़े खुद धज्जियां उड़ा रहे हैं।

    अंतरराष्ट्रीय कारोबार के आंकड़े यह बात कहते हैं

    अंतरराष्ट्रीय कारोबार के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका का एक दर्जन से अधिक देशों से व्यापार घाटा न सिर्फ भारत से अधिक है बल्कि कई देशों के साथ तो यह आंकड़ा भारत के मुकाबले कई गुना ज्यादा है।

    भारत ने ट्रंप की बात नहीं मानी

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने दैनिक जागरण को बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे कि भारत भी उनके इस दावे का समर्थन करे कि उन्होंने भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया है। यह बात सही नहीं थी, इसलिए भारत ने ऐसा नहीं किया।

    इससे ट्रंप की नोबेल पुरस्कार के लिए दावेदारी कमजोर हो गई है। अब ट्रंप यह बात सबको बता नहीं सकते हैं इसलिए वह भारत से व्यापार घाटे और रूस से तेल खरीदने की बात कर रहे हैं। असल में समस्या व्यापार नहीं है ट्रंप का नोबेल अटकना है।

    2024 में अमेरिका का भारत से व्यापार घाटा करीब 41 अरब डॉलर था

    अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों पर गहरी नजर रखने वाली वेबसाइटें बताती हैं कि 2024 में अमेरिका का भारत से व्यापार घाटा करीब 41 अरब डॉलर था, लेकिन इस क्रम में दस देश इससे ऊपर हैं जिनका व्यापार घाटा भारत से ज्यादा है।

    अमेरिका का व्यापार घाटा साल दर साल बढ़ भी रहा

    इसमें थाईलैंड, ताईवान, आयरलैंड और वियतनाम जैसे छोटे देश हैं जिनकी भारत से कोई तुलना ही नहीं की जा सकती है। चीन से अमेरिका का व्यापार घाटा भारत से करीब सात गुना ज्यादा है तो मेक्सिको और वियतनाम से यह घाटा क्रमश: चार और तीन गुना है। आश्चर्यजनक तो यह है कि इनमें से अधिकांश देशों से अमेरिका का व्यापार घाटा साल दर साल बढ़ भी रहा है।

    टैरिफ के बावजूद अमेरिका से एफडीआइ तीन गुना बढ़ा

    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ लगाए जाने के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) के दौरान अमेरिका से भारत को मिलने वाला एफडीआइ करीब तीन गुना रहा है।

    इस दौरान भारत को अमेरिका से कुल 5.61 अरब डॉलर एफडीआइ मिला है, जो पिछले वर्ष समान अवधि में 1.5 अरब डॉलर था। बुधवार को जारी सरकारी डाटा के अनुसार, पहली तिमाही के दौरान देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) 15 प्रतिशत बढ़कर 18.62 अरब डॉलर एफडीआइ मिला है।

    अमेरिका का व्यापार घाटा (अरब डॉलर में)

    देश, 2024, 2023

    चीन, 271, 279

    मेक्सिको, 157, 152

    वियतनाम, 113., 104

    आयरलैंड, 81, 65

    जर्मनी, 76, 83

    ताईवान, 67, 48

    जापान, 63, 71

    द. कोरिया, 60,, 51

    कनाडा, 55, 67

    थाईलैंड, 42, 40

    भारत, 42, 43

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