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अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में था नोबेल पुरस्कार का जिक्र, इसकी शुरुआत के पीछे है विस्फोटक 'डायनामाइट' का अहम रोल

अक्टूबर की शुरुआत के साथ नोबेल शांति पुरस्कार की रेस शुरू हो गई। 3 से 10 अक्टूबर तक चलने वाले इस रेस छह पुरस्कारों का ऐलान होगा। पूरी दुनिया से सबसे बेहतर वैज्ञानिक लेखक अर्थशास्त्री और मानवाधिकार नेताओं का चुनाव किया जाएगा और उन्हें यह सम्मान मिलेगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 03 Oct 2022 02:27 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 02:27 PM (IST)
अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में था नोबेल पुरस्कार का जिक्र, इसकी शुरुआत के पीछे है विस्फोटक 'डायनामाइट' का अहम रोल
अल्फ्रेड नोबल की वसीयत में था नोबेल पुरस्कार का जिक्र

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Nobel Peace Prize 2022: चिकित्सा, साहित्य, इकोनामिक्स, फिजिक्स और केमिस्ट्री के क्षेत्रों में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार का समय आ गया है। साल 2022 के लिए यह प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई। पहली बार अलफ्रेड नोबेल की पांचवीं पुण्यतिथि पर 1901 में यह सम्मान दिया गया था। डायनामाइट का खोज करने वाले स्वीडन के उद्योगपति अलफ्रेड नोबेल की वसीयत में इस पुरस्कार के बारे में जिक्र था। दरअसल वे अपनी ही खोज डायनामाइट का जंग में इस्तेमाल किए जाने को लेकर निराश थे। इसके लिए ही वे पश्चाताप करना चाहते थे और जाते-जाते अपनी वसीयत में नोबल शांति पुरस्कार का जिक्र कर गए।

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एक डिप्लोमा, स्वर्ण पदक और 8.5 करोड़ रुपये

प्रत्येक पुरस्कार के तहत एक डिप्लोमा, स्वर्ण पदक और 10 मिलियन क्रोनर (स्वीडिश करेंसी) (करीब 8.5 करोड़ रुपये) की राशि प्रदान की जाती है। विस्फोटक 'डायनामाइट' का खोज करने वाले स्वीडन के धनी उद्योगपति अलफ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में इस पुरस्कार का उल्लेख किया था। वसीयत में लिखा था कि उनकी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा एक फंड में रखा जाए और उसके सलाना ब्याज से मानवजाति के लिए उत्कृष्ट योगदान देने वालों को पुरस्कृत किया जाए। स्टाकहोम में 1833 में अल्फ्रेड नोबल का जन्म हुआ था। केमिस्ट्री के बड़े वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने साल 1867 में विस्फोटक डायनामाइट का अविष्कार किया। उनके पिता भी युद्ध के लिए हथियार बनाने का काम करते थे।

1968 में पहली बार अर्थ जगत में दिया गया था नोबल

अल्फ्रेड नोबल ने नहीं स्वीडन के सेंट्रल बैंक ने अर्थ जगत में नोबल पुरस्कार की शुरुआत की थी । साल 1968 में पहली बार अर्थ जगत में यह पुरस्कार दिया गया। आधिकारिक तौर पर इसे अल्फ्रेड नोबेल की याद में इकोनामिक साइंस में 'बैंक आफ स्वीडन पुरस्कार' कहा जाता है। साल 2021 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए दिए गए योगदान के तहत नोबेल शांति पुरस्कार मारिया रेस्सा और दिमित्री मुरातोव को दिया गया।

2022 का निर्धारित शेड्यूल

  • 3 अक्टूबर- मेडिसीन जगत
  • 4 अक्टूबर- फिजिक्स
  • 5 अक्टूबर- केमिस्ट्री
  • 6 अक्टूबर- साहित्य
  • 7 अक्टूबर- नोबेल शांति पुरस्कार
  • 10 अक्टूबर- इकोनामिक्स

नोबेल के लिए नामिनेशन

जजों की पूरी कोशिश होती है कि विजेताओं के नाम से जुड़े संकेत पहले से न दिए जाएं। इस पुरस्कार के लिए पूरी दुनिया से हजारों लोग नामिनेशन दर्ज करा सकते हैं। नोबेल पुरस्कार के लिए नामिनेशन करने का अधिकार यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, कानूनविद, पूर्व में रहे नोबल विजेताओं व कमेटी सदस्यों को है। कमेटी की ओर से 50 सालों तक नामिनेशन को गोपनीय रखा जाता है। न ही नामिनेशन को लेकर कोई टिप्पणी किया जाता है।

रायल स्वीडिश अकेडमी आफ साइंसेज फीजिक्स, केमिस्ट्री और इकनामिक साइंस में नोबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन करती है। वहीं स्वीडिश रायल कैरोलिन मेडिको-सर्जिकल इंस्टिट्यूट चिकित्सा के क्षेत्र में विजेताओं के नाम की घोषणा करता है। स्वीडिश अकेडमी साहित्य के क्षेत्र में तथा नार्वे पार्लियामेंट्स अवार्ड्स शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा करती है।

नार्वे से है नोबेल का कनेक्शन

नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) नार्वे में दिया जाता है। बाकि के पुरस्कार स्वीडन में दिए जाते हैं। अल्फ्रेड नोबेल के समय स्वीडन व नार्वे एक संघ था जो 1905 में भंग हो गया। उल्लेखनीय है कि स्टाकहोम के नोबेल फाउंडेशन की देखरेख में पुरस्कार राशि का प्रबंध किया जाता है । महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन, लेखक जेबी शा, विंस्टन चर्चिल, अर्नेस्ट हेमिंग्वे, दलाई लामा और नेल्सन मंडेला जैसी हस्तियों को नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है।

नोबेल पाने के लिए योग्यता

हर सफलता के पीछे सबसे आवश्यक है धैर्य। नोबेल पुरस्कार का निर्धारण करने वाले जजों के समक्ष अपने काम की पहचान कराने में दशकों का समय लग सकता है। अलफ्रेड नोबेल की चाहत थी कि यह अवार्ड देशों के बीच भाईचारे को बढ़ाने में योगदान के साथ देशों के बीच जारी अनबन या सेना की तैनाती में कमी लाकर शांति की स्थापना करने वाले को ही दिया जाना चाहिए।

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