कमेंट करके बुरे फंसे अखिलेश यादव! चुनाव आयोग को मरा हुआ बोलना और कफन भेजने की बात पड़ेगी महंगी, EC देगा नोटिस
चुनाव आयोग पर कमेंट करने के बाद अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आयोग उन्हें कानूनी कार्रवाई का नोटिस देगा। यदि अखिलेश यादव ने तय समय में जवाब नहीं दिया तो कार्रवाई भी होगी। अखिलेश ने चुनाव आयोग को मरा हुआ बोल दिया था और कफन भेजने की बात कही थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने एक्शन लिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा था। इसमें उन्होंने आयोग को मरा हुआ कहा था और उन्हें कफन (सफेद कपड़ा ) भेजने की बात कही थी। आयोग ने उस समय उनके आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन अब आयोग इस मामले पर उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की तैयारी में है।
इसमें वह लगाए गए आरोपों पर पहले उनसे नोटिस देगा। यदि तय समय में उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो आयोग उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करेगा। आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। अगले एक- दो दिनों में ही उन्हें यह नोटिस जारी हो सकता है।
अखिलेश को कोई छूट देने के पक्ष में नहीं है चुनाव आयोग
आयोग वैसे भी अखिलेश यादव उनके इन आरोपों पर किसी भी तरह से छूट देने के पक्ष में नहीं है क्योंकि इस तरह आरोपों को लगाए जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। वे विधानसभा चुनाव के दौरान भी आयोग पर गंभीर आरोप लगा चुके है। इसमें उन्होंने प्रत्येक विधानसभा की मतदाता सूची से यादव व मुस्लिमों के 20-20 हजार वोट कटाने के आरोप लगाए थे।
टालमटोल के बाद अखिलेश ने दिया जवाब
आयोग ने इस पर उन्हें नोटिस जारी कर इन आरोपों के प्रमाण देने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव ने काफी टालमटोल के बाद आयोग को इसका जवाब दिया और मतदाता सूची से काटे गए कुल 18 हजार नामों की सूची सौंपी थी। जबकि उन्होंने पहले प्रत्येक विधानसभा सीट से 20-20 हजार नामों के काटे जाने के आरोप लगाए थे।
18 हजार में से वोटर लिस्ट में 200 नाम ही कटे हुए थे
आयोग ने जब इन 18 हजार नामों की भी जांच कराई तो यह पता चला कि इनमें से करीब दो सौ नाम ही वोटर लिस्ट से कटे हुए थे। ये भी अलग- अलग कारणों से काटे गए थे। सूत्रों की मानें तो इसके खिलाफ भी भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा-196 ( जिसमें रहने, जन्म स्थल, भाषा आदि के आधार पर लोगों में शत्रुता फैलाना) और धारा- 353 (जनता को गुमराह करना) के तहत कार्रवाई हो सकती है।
इनमें तीन साल तक की जेल का भी प्रविधान है। इसके अलावा जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत भी उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। जिसमें उन्हें चुनाव प्रचार से रोकने आदि की कार्रवाई हो सकती है।
यमुना में जहर खोलने के केजरीवाल के आरोपों की फाइल बंद
- हरियाणा सरकार पर यमुना में जहर खोलने के आरोपों को लेकर घिरे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल को फिलहाल चुनाव आयोग ने राहत दे दी है। आयोग ने इस मामले से जुड़ी उनकी फाइल को बंद कर दिया है।
- सूत्रों की मानें तो आयोग दूसरी बार भी उनकी ओर से दिए गए जवाब से सहमत नहीं था, क्योंकि इनमें उन आरोपों के जवाब नहीं थे, जिसमें उन्होंने नरसंहार, जैविक हमला करने और हिरोशिमा जैसे घटना के दोहराए जाने के आरोप लगाए थे। आयोग इस मामले पर कार्रवाई करके उन्हें किसी भी तरह संवेदना हासिल करने का लाभ नहीं देना चाहता है।
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