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    सेना का हौसला बढ़ाने वाली AK-203 अब हो जाएगी स्वदेशी 'शेर' राइफल, साल के आखिर तक हासिल करना है ये टारगेट

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 08:54 PM (IST)

    अमेठी में बन रही क्लाश्निकोव एके-203 राइफल जिसे शेर नाम दिया जाएगा साल के अंत तक पूरी तरह से स्वदेशी हो जाएगी। 2026 तक यहां प्रति वर्ष 1.5 लाख राइफलें बनने लगेंगी। सेना को 2030 तक 6 लाख से अधिक राइफलें मिल जाएंगी। रूस के सहयोग से 48000 राइफलें पहले ही सेना को सौंपी जा चुकी हैं।

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    एके-203 साल के आखिर तक भारत में शत-प्रतिशत निर्माण करने लगेगा। (फोटो सोर्स- पीटीआई)

    संजय मिश्र, अमेठी, जागरण। भारतीय सेना के लिए रूस की संयुक्त भागीदारी में यहां बन रही आधुनिक क्लाशनिकोव श्रेणी की राइफल एके-203 के सभी कल-पुर्जों का निर्माण साल के आखिर तक भारत में होने के साथ ही इसे स्वदेशी 'शेर' राइफल का नया नाम मिल जाएगा।

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    देश में ही बने शत-प्रतिशत कल-पुर्जे के साथ अमेठी की फैक्ट्री से पहला स्वदेशी शेर राइफल इस वर्ष 31 दिसंबर तक निर्मित कर इसकी तत्काल सेना को आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी।

    इसके सभी कल-पुर्जों का सौ फीसद निर्माण स्वदेश में होने की वजह से भारत में एके-203 यानि शेर का 2026 के मध्य से प्रति वर्ष यहां 150000 राइफलें बनने लग जाएंगी। जो प्रति वर्ष तय निर्माण लक्ष्य से दोगुने से भी अधिक होगी।

    हर 100 सेकेंड में एक राइफल बनने लग जाएंगी

    आईआरआरपीएल का पहले लक्ष्य प्रति वर्ष 70 हजार राइफलें निर्मित करने का ही था मगर उत्पादन लक्ष्य अब दो गुना से अधिक होगा। आईआरआरपीएल सीईओ के मुताबिक, जून 2026 से यहां प्रति दिन 600 राइफलें यानि हर 100 सेकेंड में एक राइफल बनने लग जाएंगी।

    परिणामस्वरूप सेना को अगले साल से 70 हजार की जगह हर वर्ष 1.20 लाख शेर राइफलों की आपूर्ति की जाएगी और भारतीय सेना को सभी छह लाख राइफलें 10 की बजाय करीब दो वर्ष पहले ही मिल जाएंगी। भारतीय सेना को सीमा के अग्रिम मोर्चों पर तैनाती के दौरान पुरानी इनसास राइफलों की जगह दुनिया भर में अपनी धाक साबित कर चुके रूसी क्लाशनिकोव श्रृंखला की सबसे आधुनिक एके 203 राइफलों से लैस किया जा रहा है।

    रूस से इसके लिए 5200 करोड़ रुपए से अधिक के हुए सौदे के तहत रूस-भारत की साझेदारी में अमेठी के कोरवा में इंडियन-रशियन राइफल प्रोडक्शन लिमिटेड (आईआरआरपीएल) की संयुक्त हिस्सेदारी वाली कंपनी एके-203 के स्वदेशी वर्जन शेर के निर्माण को सिरे चढ़ा रही है। रक्षा मंत्रालय की इस कंपनी में 50.5 और रूस की 49.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

    हर साल 1.5 लाख राइफलें बनेंगी

    दिलचस्प बात यह है कि इस संयुक्त भागीदारी वाली निजी कंपनी आईआरआरपीएल के सीईओ तथा मैनेजिंग डायरेक्टर भारतीय सेना के सर्विंग वरिष्ठ अधिकार मेजरल जनरल एसके शर्मा हैं। अमेठी राफइल फैक्ट्री निर्माण परिसर में एके 203 के भारतीय संस्करण शेर राइफल निर्माण की प्रगति की चर्चा करते हुए मेजरल जनरल शर्मा ने कहा कि अभी 50 प्रतिशत पार्ट-पुर्जे देश में बन रहे जो अक्टूबर तक 70 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा और साल के अंत में शत प्रतिशत कल-पुर्जें भारत में ही बनने लगेंगे।

    इसे देखते हुए एके-203 का शत प्रतिशत स्वदेशी वर्जन शेर राइफल का निर्माण 31 दिसंबर तक शुरू हो जाएगा। पार्ट-पुर्जे देश में ही बनने का सकारात्मक नतीजा यह होगा कि जून 2026 से अमेठी की फैक्ट्री में हर साल डेढ़ लाख राइफलें बनने लगेंगी जिसमें से 1.20 लाख सेना को दी जाएगी।

    2030 तक सेना को छह लाख से अधिक राइफलें सौंपा जाएगा

    मेजर जनरल शर्मा के अनुसार समझौते के तहत सेना को 2022 से 2032 तक प्रति वर्ष 70000 राइफलों के साथ सभी 6,01,427 राइफल मुहैया करायी जानी है। लेकिन राफइल निर्माण के अगले साल मध्य में गति पकड़ने के बाद हम 2030 तक ही सेना को छह लाख से अधिक राइफलें सौंप देंगे।

    रूस के सहयोग से अब तक 48000 हजार राइफलें अमेठी में निर्मित कर भारतीय सेना को सौंपी जा चुकी है। अमेठी फैक्ट्री से अगले साल से सालाना 30 हजार राइफलें निर्यात करने के संबंध में उन्होंने कहा कि अगले कुछ सालों में आईआरआरपीएल को दुनिया की पांच सबसे प्रमुख राइफल कंपनी बनाने के लिए अभी से निर्यात जरूरी है।

    ब्रहृमोस मिसाइल के निर्माण की सफलता के बाद एके 203 यानि शेर भारत-रूस की मैत्री और संयुक्त सैन्य निर्माण साझेदारी का दूसरा सबसे सफल उदाहरण होगा।पूर्वी एशिया तथा अफ्रीका के कई देश शेर को खरीदने के लिए बेहद उत्सुक हैं। वहीं जम्मू-कश्मीर समेत देश की कई राज्यों की पुलिस तथा केंद्रीय अ‌र्द्धसैनिक बल भी यह राइफल खरीदना चाहते हैं और हम इन्हें भी प्राथमिकता के आधार पर शेर की आपूर्ति करेंगे।

    शेर नाम से निर्यात को लेकर रूस को नहीं कोई आपत्ति

    मेजर जनरल शर्मा ने कहा कि एके 203 को शेर नाम से निर्यात करने पर भी रूस को कोई आपत्ति नहीं है। अमेठी फैक्ट्री में राइफल निर्माण में देरी के संबंध में उनका कहना था कि कुछ वजहों से प्रारंभिक विलंब के अलावा अब इसमें कोई बाधा नहीं है। 

    इसके अलावा शेर राइफल की गुणवता रूस में निर्मित एके 203 जैसी ही रहेगी क्योंकि अमेठी में हर एक राइफल 121 निर्माण-गुणवत्ता परीक्षण तथा फिर टेस्ट फायरिंग के बाद ही पूर्ण रूप से तैयार की जा रही है।

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