राजस्थान के कई शहरों में बारिश से हाहाकार, छह जिलों में स्कूलों में छुट्टी; इन शहरों में बाढ़ जैसे हालात
अजमेर में 48 घंटों से हो रही मूसलाधार बारिश ने शहर में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। आनासागर और पुष्कर सरोवर जैसे जलाशय ओवरफ्लो हो रहे हैं जिससे निचले इलाकों में पानी भर गया है। एनडीआरएफ की टीमों ने लोगों को बचाया और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। स्कूलों में छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में पिछले 48 घंटों से हो रही वर्षा के कारण अजमेर, पुष्कर, बूंदी, सवाई माधोपुर, टोंक और पाली सहित कई शहरों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। नदियां-नाले उफान पर हैं। कई गांव जिला मुख्यालय से कट गए हैं।
बिगड़े मौसम के मद्देनजर शनिवार को कोटा, बारां, झालावाड़, अजमेर, बूंदी और राजसमंद में सभी स्कूलों के लिए छुट्टी घोषित कर दी गई। नागौर और पाली में निजी स्कूलों को भी एहतियात के तौर पर बंद रखने का आदेश दिया गया।
अजमेर में भारी बारिश से बिगड़े हालात
अजमेर में मूसलधार वर्षा ने शहर का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। आना सागर, वरुण सागर, पुष्कर सरोवर सहित प्रमुख जलाशयों की भराव सीमा पार होने से पानी ओवरफ्लो कर सड़कों पर बह रहा है, कई बस्तियां डूब गई हैं।
एनडीआरएफ और स्वयंसेवकों की टीमों ने जलमग्न इलाकों में फंसे लोगों को बाहर निकाला। नावों, ट्रैक्टर ट्रालियों और रस्सियों की मदद से राहत पहुंचाई जा रही है।
बनास नदी में फंसे 17 लोग
उधर, टोंक के तोड़ाराई सिंह क्षेत्र के गोलेरा गांव के पास बनास नदी में शुक्रवार रात 17 व्यक्ति फंस गए थे, उन्हें बाद में एसडीआरएफ ने बचाया। मौसम विभाग के अनुसार राजस्थान में एक जून से मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से सामान्य से 126 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। रविवार से राज्य में वर्षा की गतिविधियों में तेजी से कमी आने की संभावना है।
बिहार में गंगा व सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ा
बिहार में रुक रुक कर मगर लगातार हो रही वर्षा से गंगा और उसकी सहायक नदियों सोन और पुनपुन का जलस्तर बढ़ने लगा है। पटना में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 0.37 मीटर और समस्तीपुर में 78 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है।
खगड़िया में गंगा खतरे के निशान से 64 सेंटीमीटर नीचे है। समस्तीपुर में बाढ़ के कारण कई गांव प्रभावित हुए हैं। कटिहार में गंगा चेतावनी स्तर के करीब पहुंच गई है। जलस्तर में 24 घंटे में 30 से 35 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। प्रदेश में बांधों की निगरानी बढ़ाई गई है और श्रमिक तैनात किए गए हैं।
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