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    जमीन घोटाले में फंसे अजित पवार के पुत्र, मुख्यमंत्री फडणवीस ने दिए जांच के आदेश

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 08:50 PM (IST)

    महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार एक जमीन घोटाले में फंसते दिख रहे हैं। पार्थ की कंपनी को पुणे में आईटी पार्क बनाने के लिए सरकारी जमीन मिली, जिसकी कीमत काफी कम थी। मुख्यमंत्री फडणवीस ने जांच के आदेश दिए हैं, जबकि अजित पवार ने खुद को इस सौदे से अलग कर लिया है। सरकार ने तहसीलदार और उप-पंजीयक को निलंबित कर दिया है।

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    अजित पवार। (फाइल) 

    राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र में करीब एक साल पुरानी देवेंद्र फडणवीस सरकार के सामने बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। उपमुख्यमंत्री और राकांपा अध्यक्ष अजित पवार अपने पुत्र के कारण मुश्किल में फंसते दिख रहे हैं।

    उनके बड़े बेटे पार्थ पवार से जुड़ी एक कंपनी ने आईटी पार्क और डेटा सेंटर विकसित करने के लिए पुणे में आरक्षित सरकारी भूखंड हासिल कर लिया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस सौदे की जांच के आदेश दे दिए हैं, वहीं अजित पवार ने अपने बेटे के सौदे से खुद को अलग कर लिया है।

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    पुणे में काफी महंगे कोरेगांव पार्क क्षेत्र से कुछ दूर मुंधवा में स्थित 40 एकड़ का भूखंड अमाडिया एंटरप्राइजेस को मात्र 300 करोड़ रुपए में बेच दिया गया, जिसमें पार्थ पवार एवं दिग्विजय पाटिल हिस्सेदार हैं। इस भूखंड सौदे में स्टाम्प शुल्क भी माफ कर दिया गया है।

    महार समुदाय के लिए आरक्षित 'वतन' श्रेणी की भूमि, बॉम्बे अवर ग्राम वतन उन्मूलन अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित है और इसे बेचा नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने, जो राज्य के गृह मंत्री भी हैं, तुरंत जमीन सौदे की जांच के आदेश दे दिए हैं।

    उन्होंने एक बयान में कहा है कि प्रथम दृष्टया, मामला गंभीर लग रहा है। मैंने संबंधित विभागों से मामले से जुड़ी सभी जानकारी मंगवा ली है और जांच के आदेश दे दिए गए हैं। मैं इस बारे में पूरी जानकारी मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई के बारे में बता पाऊंगा।

    उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि अगर इस मामले में अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो अजित पवार अपने बेटे का समर्थन करेंगे। उनके अनुसार तीन सदस्यीय जांच समिति का नेतृत्व राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे करेंगे। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने तहसीलदार सूर्यकांत येवाले और उप-पंजीयक रवींद्र तारू को निलंबित कर दिया है।

    पंजीकरण महानिरीक्षक रवींद्र बिनवाडे ने इस बात की जाँच के लिए एक समिति गठित की है कि सरकारी ज़मीन एक निजी संस्था को कैसे हस्तांतरित की गई और उसे छूट कैसे दी गई।

    अजित पवार ने इस सौदे से खुद को अलग किया

    दूसरी ओर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने बेटे पार्थ पवार के सौदे से खुद को यह कहते हुए अलग कर लिया है कि मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है। आप सब मुझे जानते हैं। मैं कानून के दायरे में काम करता हूँ। मैं अपने परिचितों और रिश्तेदारों के काम के लिए अधिकारियों को नहीं बुलाता।

    उन्होंने आगे कहा कि टीवी चैनलों पर जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, उसके बारे में मुझे पूरी जानकारी नहीं है। अजित पवार होने के नाते, मेरा उस मामले से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है। महाराष्ट्र की जनता मुझे 35 वर्षों से जानती है। मैंने इस मामले की पूरी जानकारी हासिल करने का फैसला किया है।

    हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ महीने पहले इस तरह की किसी घटना के बारे में सुना था, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि किससे। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा आदेशित जांच का स्वागत करते हुए कहा कि मैंने निर्देश दिए थे कि कोई भी गलत और गैरकानूनी काम न किया जाए। लेकिन इस बीच क्या हुआ ? मुझे नहीं पता।

    उन्होंने कहा कि किसी भी गैरकानूनी काम को मेरा समर्थन नहीं है। जब उनसे उस भूखंड सौदे में दिए गए उनके पते के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा यह मेरा पता नहीं है। यह पता पार्थ अजित पवार का है, मेरा नहीं।

    सरकार ने तहसीलदार, सब-रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया

    महाराष्ट्र सरकार ने तहसीलदार सूर्यकांत येवाले और उप-पंजीयक रवींद्र तारू को निलंबित कर दिया है। पंजीकरण महानिरीक्षक रवींद्र बिनवाडे ने इस बात की जांच के लिए एक समिति गठित की है कि सरकारी जमीन एक निजी संस्था को कैसे हस्तांतरित की गई और उसे छूट कैसे दी गई।