Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नाई की दुकान पर फेल हो गया था PAK का न्यूक्लियर प्लान, जानिए कैसे अजीत डोभाल ने भिखारी बनकर नाकाम की परमाणु चाल

    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जिन्हें देसी जेम्स बॉन्ड के रूप में जाना जाता है ने 1980 के दशक में पाकिस्तान में भिखारी बनकर एक खतरनाक मिशन को अंजाम दिया। डी देवदत्त की किताब के अनुसार उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की जासूसी की। एक नाई की दुकान से वैज्ञानिकों के बाल इकट्ठा करके उन्होंने यूरेनियम के अंशों का पता लगाया।

    By Digital Desk Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Tue, 26 Aug 2025 03:11 PM (IST)
    Hero Image
    पाकिस्तान में भिखारी बनकर अजीत डोभाल ने खोली परमाणु कार्यक्रम की पोल। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को देसी 'जेम्स बॉन्ड' और 'सुपरकॉप' के नाम से भी जाना जाता है। अजीत डोभाल शुरू से ही थोड़ा हट करके रहे हैं। कई मौकों में पर उन्होंने इसे सिद्ध भी किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दरअसल, इंटेलिजेंस ब्यूरो और सिक्किम मिशन के दौरान उन्होंने खुद को स्थापित किया। इसके अलावा डोभाल ने अपने करियर में कई बड़े मिशन को भी अंजाम दिया है। इसी कड़ी में 1980 के दशक में वह एक ऐसे मिशन पर गए जिसमें ना केवल उनकी जान खतरे में रही, बल्कि देश की सुरक्षा भी खतरे में जा सकती थी।

    जब भिखारी बनकर पाकिस्तान में रहे डोभाल

    डी देवदत्त की किताब 'अजीत डोभाल-ऑन ए मिशन' में डोभाल से जुड़े एक बड़े और खतरनाक मिशन का जिक्र किया गया है। इस मिशन को पूरा करने के लिए अजीत डोभाल पाकिस्तान गए थे। पाकिस्तान जाकर उन्होंने उनके (पाकिस्तान) परमाणु कार्यक्रम की जासूसी करने का काम किया था। सबसे हैरान करने वाली बात है कि इस दौरान वह भिखारी बन करके पड़ोसी मुल्क में रहते थे और मिशन पर काम करते थे।

    जान खतरे में डालकर दिया मिशन को अंजाम

    किताब के अनुसार, भारत ने साल 1974 में जब पहला परमाणु परीक्षण किया, तो दुनिया के साथ सबसे अधिक हैरान पाकिस्तान हो गया था। इसके बाद भी परमाणु क्षमताओं की खोज में लगा। इसके लिए पाकिस्तान ने चीन और उत्तर कोरिया की मदद ली थी। जैसे ही ये बात सामने आई, भारत ने इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने की योजना बनाई।

    भारत ने पाकिस्तान के इस राज से पर्दा उठाने के लिए बड़ी जिम्मेदारी अजीत डोभाल को सौंपी। उनको ये ऐसा मिशन मिला था, जो न केवल उनकी जान पर खतरा था, बल्कि असलियत सामने आने के कारण भारत की सुरक्षा पर आंच आ सकती थी।

    अजीत डोभाल ने अपने मिशन को बेहद शानदार तरीके से अंजाम दिया। वह कई दिनों तक पाकिस्तान के एक गांव कहूटा की गलियों में भिखारी बनकर घूमते रहे। वह परमाणु क्षमताओं के परीक्षण से जुड़े सभी प्रकार की जानकारी को एकत्र करना चाहते थे।

    नाई की दुकान पर मिला था बड़ी जानकारी

    भिखारी के भेष में घूमते अजीत डोभाल को आते-जाते लोग भीख भी दिया करते थे। हालांकि, उन्हें किसी बात की कोई फिक्र नहीं थी। वह अपने मिशन पर लगे हुए थे। इस दौरान घूमते-घूमते वह एक दिन एक नाई की दुकान पर पहुंचे, जहां पर हर रोज खान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक आया करते थे। डोभाल उस दिन भी दुकान के बाहर बैठे थे, लेकिन उनका ध्यान अंदर फर्श पर था, जहां पर बाल बिखरे थे।

    जब फर्श पर गिरे बालों को डोभाल ने किया इकट्ठा

    जैसे ही खान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक वहां से बाल कटा कर गए, अजीत डोभाल ने चुपचाप बालों को वहां से इकट्ठा किया। चुपके से उन्होंने इन बालों को भारत भेज दिया। इन बालों की टेस्टिंग के दौरान इनमें से रेडिएशन और यूरेनियम कुछ अंश मिले। इसी की मदद से पाकिस्तान के सीक्रेट न्यूक्लियर प्रोग्राम के बारे में जानकारी सामने आ सकी थी। अजीत डोभाल की इसी बहादुरी ने पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षा को उजागर किया था।

    छह साल पाकिस्तान में छिपकर रहे

    गौरतलब है कि अजीत डोभाल करीब 6 साल गुप्त तरीके से पाकिस्तान में रहे। यहां पर वह लगातार कई प्रकार के खतरों से खेलते थे। अजीत डोभाल के प्रयासों के कारण भारतीय खुफिया एजेंसियों के पाकिस्तान की परमाणु महत्वकांक्षा के बारे में पता लग सका था।

    ध्यान देने योग्य बात है कि उन बालों के रेशों को इकट्ठा करके और यूरेनियम की मौजूदगी साबित करके, डोभाल ने ऐसी जानकारी मुहैया कराई, जिससे पाकिस्तान की परमाणु परीक्षण करने की क्षमता में 15 साल की देरी हुई। इस मिशन को डोभाल के करियर का सबसे साहसी और खतरनाक मिशन माना जाता है।

    सोर्स- डी देवदत्त की किताब, 'Ajit Doval- On a Mission'

    यह भी पढ़ें: चीन की धरती पर 31 अगस्त को पावर शो... एक मंच पर जुटेंगे PM मोदी, पुतिन और चिनफिंग; अमेरिका को करारा जवाब

    यह भी पढ़ें: 'अगर शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहें'; रण संवाद में CDS अनिल चौहान का पाकिस्तान को संदेश