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    एयर टर्बुलेंस से मिलेगा छुटकारा, वैज्ञानिकों ने विकसित किया मॉडल; समझिए ये कितना जरूरी

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 06:09 PM (IST)

    हवाई यात्रा में एयर टर्बुलेंस एक आम समस्या है जिससे विमान में झटके लगते हैं और यात्री घायल हो सकते हैं। अब वैज्ञानिकों ने एक नया मॉडल विकसित किया है जो हवा की हलचल को बेहतर ढंग से समझ सकेगा और एयर टर्बुलेंस से बचने का रास्ता खोजा जा सकेगा। यह मॉडल दो सिद्धांतों को मिलाकर बनाया गया है।

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    विमान की डिजाइन में भी सुधार की उम्मीद जगी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपने प्लेन से सफर किया है, तो कभी न कभी आपका सामना एयर टर्बुलेंस से जरूर हुआ होगा। एयर टर्बुलेंस उस स्थिति को कहा जाता है, जब उड़ान के दौरान कई बार विभिन्‍न वजहों से विमान में झटके लगते हैं या विमान हिचकोले खाने लगता है।

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    कभी-कभी यह टर्बुलेंस इतना खतरनाक भी हो जाता है कि यात्री इसमें घायल हो जाते हैं। अगस्त 2025 में डेल्टा एयरलाइंस की फ्लाइट डीएल 56 में ऐसा टर्बुलेंस हुआ था कि कई यात्री घायल हो गए थे। इमरजेंसी लैंडिंग के बाद 25 लोगों को अस्पताल में अस्पताल में भर्ती तक कराना पड़ गया था। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस एयर टर्बुलेंस से बचने का रास्ता खोज लिया है।

    जानिए वैज्ञानिकों के इस नए मॉडल के बारे में

    सवाल- वैज्ञानिकों ने कैसा मॉडल विकसित किया है?

    जवाब- इन नए मॉडल में हवा की हलचल को पहले से अधिक बेहतर समझा जा सकेगा। इससे विमान की डिजाइन में भी सुधार की उम्मीद है, साथ ही मौसम का पूर्वानुमान भी जरूरत के अनुसार लगाया जा सकेगा।

    सवाल- किसने बनाया ये मॉडल?

    जवाब- इस मॉडल को यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर डॉ. ब्योर्न बिर्निर और यूनिवर्सिटी ऑफ ओस्लो की डॉ. लुइजा एंगलुता - बॉयर ने बनाया है। दोनों वैज्ञानिकों ने दो सिद्धांतों को मिलाकर इसे तैयार किया है।

    सवाल- कैसे काम करता है ये मॉडल?

    जवाब- जैसा कि हमने पहले बताया, वैज्ञानिकों ने दो सिद्धांतों को मिला दिया है। पहला सिद्धांत है लैग्रेंजियन यानी कण की गति को ट्रैक करना और दूसरा है यूलरियन एक बिंदु पर हवा की स्थिति को देखना। इससे टर्बुलेंस का बेहतर अध्ययन करना संभव हो पाया है।

    सवाल- पहले कैसे अध्ययन होता था?

    जवाब- इसके पहले तक वैज्ञानिक इन दोनों सिद्धांतों को अलग-अलग इस्तेमाल करते थे। इस कारण टर्बुलेंस की पूरी तस्वीर नहीं मिल पाती थी। लेकिन अब दोनों सिद्धांतों को मिलाकर इसे बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

    सवाल- क्या यह मॉडल कारगर है?

    जवाब- इसे अब तक का सबसे बेहतर प्रयास माना जा रहा है। इससे न सिर्फ पायलट समय रहते तैयारी कर सकेंगे, बल्कि कंपनियां सुरक्षित एयरक्राफ्ट भी विकसित कर सकेंगी।

    सवाल- कब तक लागू होने की उम्मीद?

    जवाब- अभी ये सिर्फ एक मॉडल है। साथ ही तकनीकी रूप से थोड़ा जटिल भी है। इसे धरातल पर उतरने में थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन भविष्य की उड़ानों को ये बेहद सुरक्षित बनाएगा।

    सवाल- विशेषज्ञ क्या सोचते हैं?

    जवाब- इस मॉडल को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह वाकई कारगर साबित होगा। यह विमान डिजाइन करने वाली कंपनियों और मौसम विभागों के लिए भी बेहद उपयोगी होगा। भविष्य की यात्राएं ज्यादा सुरक्षित और आरामदायक होंगी।

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