Delhi Air Pollution: वायु प्रदूषण मस्तिष्क को कर रहा प्रभावित, सिरदर्द-चिड़चिड़ापन भी बढ़ रहा
वायु प्रदूषण शरीर के अन्य अंगों के अलावा मस्तिष्क को प्रभावित करता है। जिसकी वजह से तनाव बढ़ता है और संज्ञानात्मक क्षमता में कमी आती है। दिल्ली में इन दिनों वायु की गुणवत्ता खतरनाक सीमा तक पहुंच चुकी है ऐसे में इस पर गौर करना जरूरी है। चिकित्सक वर्ग ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वायु प्रदूषण न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है।

एजेंसी, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण शरीर के अन्य अंगों के अलावा मस्तिष्क को प्रभावित करता है। जिसकी वजह से तनाव बढ़ता है और संज्ञानात्मक क्षमता में कमी आती है। दिल्ली में इन दिनों वायु की गुणवत्ता खतरनाक सीमा तक पहुंच चुकी है, ऐसे में इस पर गौर करना जरूरी है।
चिकित्सक वर्ग ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वायु प्रदूषण न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है, बल्कि हृदय और मस्तिष्क जैसे अन्य प्रमुख अंगों को भी प्रभावित करता है। सफदरजंग अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. नीरज गुप्ता ने कहा कि विशेषकर बुजुर्गों, स्कूल जाने वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं जैसी कमजोर आबादी में सिरदर्द, चिंता, चिड़चिड़ापन, भ्रम और संज्ञानात्मक क्षमताओं में कमी के मामलों में अचानक वृद्धि हुई है।
दरअसल, न्यूरोकाग्निटिव क्षमता हवा में बढ़ते नाइट्रोजन डाइआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड से सीधे जुड़ी हुई है क्योंकि वे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए ‘गैस चैंबर’ एक तकनीकी रूप से सही शब्द है जिसका इस्तेमाल हानिकारक गैसों की सांद्रता में वृद्धि के कारण किया जाता है, न कि केवल कणीय पदार्थ के कारण। डाक्टरों ने कहा कि शहर के अस्पतालों में पिछले कुछ दिनों से श्वसन और श्वसन संबंधी जटिलताओं से पीड़ित रोगियों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक डॅा.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई ऐसे अध्ययन हुए हैं, जिसमें वायु प्रदूषण को मस्तिष्क स्ट्रोक, मनोभ्रंश और संज्ञानात्मक गिरावट के बढ़ते खतरों से जोड़ा है।
इन शोधों के निष्कर्षों की वैश्विक स्तर पर चर्चा की जा रही है, ताकि इस बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। न्यूरोकाग्निटिव क्षमता हवा में बढ़ते नाइट्रोजन डाइआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड से सीधे जुड़ी हुई है, इस वजह से वायु प्रदूषण अन्य अंगे के अलावा मस्तिष्क को भी करता है प्रभावित
अधिक दिनों में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर होती है दिल्ली सहित उत्तर भारत इलाके में
वायु प्रदूषण ने प्रभावित किया गणितीय क्षमता को उत्तरी कैरोलिना में स्कूल जाने वाले बच्चों के बीच किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का उनकी गणितीय क्षमताओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है, इसलिए एकमात्र रास्ता इस जहरीली हवा के संपर्क में आने से बचना है।
विशेष रूप से, कमजोर आबादी और अस्थमा, क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और इस्केमिक हृदय रोग जैसी पहले से मौजूद स्थितियों वाले रोगियों को घर के अंदर रहने की कोशिश करनी चाहिए और निवारक उपाय करने चाहिए।

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