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    विमान में सफर करना कितना सेफ है? 1.10 करोड़ उड़ानों में कितना होता है प्लेन क्रैश का खतरा और क्यों होते हैं हादसे

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 06:08 PM (IST)

    Air India Plane Crash अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे ने पूरी दुनिया को हिला दिया जिसमें 241 लोगों की जान चली गई। इस दुर्घटना ने हवाई यात्रा की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कोई भी विमान 100 प्रतिशतदुर्घटना-मुक्त नहीं हो सकता लेकिन विभिन्न पहलुओं को समझकर आशंकाओं को कम किया जा सकता है।

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    Air India Plane Crash: विमान यात्रा को लेकर एक्सपर्ट्स ने दी जानकारी।(फोटो सोर्स: जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Air India Plane Crash। अहमदाबाद विमान हादसे पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। विमान में सवार 241 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद हवाई यात्रा करने वाले लोगों के मन में विमान यात्रा को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।  हालांकि, विशेषज्ञों ने हवाई यात्रा की सुरक्षा को लेकर विस्तार से जानकारी दी है।

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    विशेषज्ञों के अनुसार यह तो तय है कि कोई विमान 100% एक्सीडेंट प्रूफ नहीं हो सकता। लेकिन, इनके विभिन्न पहलू समझकर आप आशंकाएं कम कर सकते हैं।

    विमान दुर्घटनाएं आखिर होती ही क्यों हैं?

    • आधुनिक विमान एक बेहद जटिल मशीन हैं। कई सिस्टम साथ काम करते हैं। ऐसे में एक छोटी-सी खामी भी उड़ान को संकट में डाल सकती है।

    • हादसों के प्रमुख कारणों में यांत्रिक विफलता, इंजन फेल होना, इंसानी लापरवाही (जैसे एटीसी की चूक या लोडिंग में गलती ), पायलट की गलती, मेंटेनेंस में लापरवाही, पक्षी से टकराना, कमजोर ट्रेनिंग, खराब उपकरण, खराब मौसम या तोड़फोड़ ।

    पहली विमान दुर्घटना कब हुई थी ?

    पहली विमान दुर्घटना 17 सितंबर 1908 को वर्जीनिया के फोर्ट मायर्स में हुई थी। कारण तकनीकी खराबी था। 75 फीट की ऊंचाई पर विमान का एक प्रोपेलर टूट गया था।

    दुर्घटना की संभावना कितनी होती है?

    विमान दुर्घटनाएं खौफनाक हैं । पर संभावना बहुत कम होती है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अनुसार विमान क्रैश होने की आशंका 1.10 करोड़ में से सिर्फ 1 होती है।

    मैकेनिकल फेलियर क्या होता है ?

    आधुनिक विमानों में कई सिस्टम साथ काम करते हैं। नियमित मेंटेनेंस न रखा जाए तो मैकेनिकल फेलियर तय है। हल्की घिसावट और टूट-फूट भी जरूरी हिस्से को नुकसान पहुंचा सकती है। 20% दुर्घटनाएं मेकेनिकल फेलियर के कारण होती हैं। देखने में आया है क कई बार पायलट यांत्रिक गड़बड़ियों के बावजूद सुरक्षित लैंडिंग कर लेते हैं।

    क्या एटीसी व पायलट गलती करते हैं?

    सुरक्षित उड़ान काफी हद तक उसे निर्देशित व संचालित करने वालों पर निर्भर है। एटीसी को हर दिन सैकड़ों विमानों को दिशा देनी होती है। उसकी कार्यक्षमता में गिरावट पर विमानों के टकराने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, नासा के अनुसार 50% से अधिक विमान दुर्घटनाएं पायलट की गलतियों के कारण होती हैं।

    मौसम की क्या भूमिका रहती है?

    मानव और यांत्रिक त्रुटियां हमारे नियंत्रण में हैं, लेकिन मौसम पर कोई बस नहीं चलता । तूफान, घने बादल और तेज हवाएं टेक-ऑफ और लैंडिंग के समय खतरनाक हो सकती हैं।

    बता दें कि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर (एआइ171) के दुर्घटनाग्रस्त होने के घंटों बाद भी मृतकों की आधिकारिक संख्या की पुष्टि नहीं की गई। यह विमान शहर के सिविल अस्पताल और बीजे मेडिकल कॉलेज के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ और आग की लपटों में तब्दील हो गया।

    यही नहीं, हादसे में हॉस्टल में रह रहे 20 से अधिक मेडिकल छात्रों की भी मौत हुई है जबकि 50 से अधिक जख्मी हैं हादसे में जान गंवाने वाले पैसेंजर्स को एअर इंडिया ने 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का एलान किया है।  

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