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    वायुसेना को मिलेगा स्वदेशी 'I-Star' जासूसी विमान सिस्टम, खासियत देख उड़ जाएंगे दुश्मनों के होश

    By Agency Edited By: Prince Gourh
    Updated: Sun, 08 Jun 2025 10:41 PM (IST)

    आइ-स्टार प्रणाली सैन्य बलों को वायु-से-भूमि निगरानी प्रदान करती है जिससे उन्हें सटीक हमले करने में सहायता मिलती है। यह जासूसी विमान परियोजना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित की है। इसके परियोजना के तहत बोइंग और बाम्बार्डियर जैसे विदेशी विमान कंपनियों से खुली निविदा के जरिये तीन विदेशी युद्धक विमानों की खरीद की जानी है।

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    वायुसेना को मिलेगी स्वदेशी आइ-स्टार'जासूसी विमान प्रणाली (फाइल फोटो)

    एएनआइ, नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाफ चल रहे आपरेशन सिंदूर के बीच भारतीय वायुसेना के लिए तीन अत्याधुनिक जासूसी विमानों की खरीद की जाएगी। ये टोही युद्धक विमान रडार स्टेशन, वायु रक्षा इकाइयां और अन्य मोबाइल वस्तुएं की मदद से वायु-से-भूमि लक्ष्यों पर सटीक हमले करने में कारगर होंगे।

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    खुफिया जानकारी और निगरानी करने वाले यह युद्धक विमान स्वदेशी आइ-स्टार प्रणाली से संचालित होंगे। दस हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक में प्रस्तावित किया जाएगा।

    कब होगा मंजूर?

    रक्षा मंत्रालय की एक बैठक इस संबंध में इसी महीने के चौथे हफ्ते में होनी है। यह प्रोजेक्ट 'इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेट एक्विजिशन और रीकान्नेसेंस' (यानी आइ-स्टार) के लिए है जिसे रक्षा मंत्रालय आने वाले कुछ समय में मंजूर कर सकता है।

    आइ-स्टार प्रणाली सैन्य बलों को वायु-से-भूमि निगरानी प्रदान करती है, जिससे उन्हें सटीक हमले करने में सहायता मिलती है। यह जासूसी विमान परियोजना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित की है।

    DRDO ने क्या विकसित किया?

    इसके परियोजना के तहत बोइंग और बाम्बार्डियर जैसे विदेशी विमान कंपनियों से खुली निविदा के जरिये तीन विदेशी युद्धक विमानों की खरीद की जानी है। विमानों पर लगे सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी होंगे, क्योंकि डीआरडीओ के 'सेंटर फार एयरबोर्न सिस्टम्स' (कैब्स) ने पहले ही इन्हें सफलतापूर्वक विकसित कर लिया है।

    ये सिस्टम पहले ही कैब्स द्वारा सिद्ध और विकसित किए जा चुके हैं और इन्हें केवल तीन विमानों के साथ असेंबल करना होगा, जिन्हें इस उद्देश्य के लिए अधिग्रहित और आवश्यकतानुसार परिवर्तित किया जाएगा।

    इस क्लब में शामिल होगा भारत

    आइ-स्टार प्रणाली के विकास से भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जिनके पास ऐसी क्षमता है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल कुछ अन्य देश शामिल हैं। आइ-स्टार इस प्रकार गतिशील और समयबद्ध तरीके से संवेदनशील लक्ष्यों की पहचान करने की क्षमता प्रदान करता है और राष्ट्र की सुरक्षा लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

    यह अव्यक्त शत्रुतापूर्ण खतरों के पैमाने और जटिलता को सीमित करने में मदद करेगा। इसमें असामान्य बलों का पता लगाने, स्थान निर्धारित करने और बहुस्तरीय निगरानी करने की क्षमता है।

    आई-स्टार की खासियत

    • आइ-स्टार प्रणाली का उपयोग दिन और रात दोनों समय इंटेलिजेंस संग्रह, निगरानी, रीकान्नेसेंस और लक्ष्यों की पहचान के लिए किया जाएगा, जो स्टैंड-आफ रेंज से किया जाएगा।
    • आइ-स्टार सिस्टम अत्यधिक ऊंचाई पर बड़े स्टैंड-आफ रेंज से संचालित होते हैं और इसका उपयोग इंटेलिजेंस प्रोसेसिंग, शोषण, प्रसार और सामान्य परिचालन चित्र के निर्माण के लिए किया जाएगा।
    • आइ-स्टार विमान एक प्रणाली होगी जिसमें एयरबोर्न और ग्राउंड सेगमेंट शामिल होंगे।