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    क्या कोरोना वैक्सीन की वजह से हो रहे हैं हार्ट अटैक; गुलेरिया समेत AIIMS के टॉप डॉक्टरों की क्या है राय?

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 03:41 PM (IST)

    साल 2020-21 में कोरोना वायरस से लाखों लोग प्रभावित हुए। वैक्सीन आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली पर कोविड के बाद हार्ट अटैक के मामले बढ़े। एम्स दिल्ली के डॉ. करण मदान ने स्पष्ट किया है कि कोविड के टीके प्रभावी थे और मृत्यु दर कम करने में सहायक रहे। उन्होंने कहा कि टीकों का हृदय संबंधी मौतों से कोई सीधा संबंध नहीं है।

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    एम्स के डॉक्टरों ने कोविड वैक्सीन और हार्ट अटैक के संबंध को लेकर किया खुलासा (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2020 और 2021 में कोरोना वायरल अपने चरम स्तर पर था और इस दौरान इस वायरस की चपेट में आने से कई लोगों की मौत भी हुई। इस वायरस ने दुनियाभर में लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया था।

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    हालांकि, जब कोरोना की वैक्सीन आई तो लोगों ने राहत की सांस ली और कोविड-19 की वैक्सीन लेने के बाद लोगों के स्वास्थ्य में काफी सुधार भी देखा गया। कोविड के बाद हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या में अचानक काफी इजाफा हुआ है।

    अचानक लोगों की हो रही मौत

    कोई क्रिकेट खेलते समय हार्ट अटैक का शिकार हो गया तो कोई शादी में डांस करते समय हृदय गति रुकने से मौत के मुंह में समा गया। इस दौरान लोगों के बीच ये सुना जाने लगा कि कोविड वैक्सीन की वजह से लोगों में अचानक हार्ट अटैक देखने को मिल रहे हैं। लेकिन अब एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने इस बात को लेकर स्पष्ट जानकारी सामने रखी है।

    एम्स दिल्ली के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान ने कहा कि कोविड के टीके प्रभावी टीके थे और उन्होंने मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    कोरोना वैक्सीन का हार्ट अटैक से संबंध

    उन्होंने कहा, "महामारी के दौरान जीवन बचाने के लिए टीके ही एकमात्र संभव उपाय हैं। टीकों का इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोगों पर किया गया और उन्होंने अत्यधिक मृत्यु दर को रोकने में बहुत लाभ पहुंचाया। टीकों द्वारा प्रदान किए गए लाभ बहुत अधिक हैं।"

    डॉ. मदान ने बताया कि अब तक इस्तेमाल किए गए टीकों की समीक्षा के लिए अचानक हृदय संबंधी मौतों पर एक अध्ययन किया गया था, लेकिन अचानक हृदय संबंधी मौतों के साथ कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया गया।"

    AIMS के पूर्व डायरेक्टर ने क्या कहा?

    एम्स दिल्ली के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इस मामले पर कहा कि अचानक हार्ट अटैक के कारण युवा लोगों की मृत्यु की खबरें आ रही हैं। इस कारण को जानने के लिए अध्ययन किए गए हैं।

    उन्होंने कहा, यदि आप ICMR और AIIMS के अध्ययनों को देखें, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि इन युवा मौतों का COVID-19 टीकों से कोई संबंध नहीं है। COVID-19 टीकों के कुछ दुष्प्रभाव होते हैं, सभी टीकों/दवाओं के कुछ दुष्प्रभाव होते हैं, लेकिन COVID-19 टीकाकरण और दिल के दौरे के बीच कोई संबंध नहीं है। किसी भी अध्ययन ने यह नहीं दिखाया है।"

    जीबी पंत के डॉक्टर ने क्या कहा?

    जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ मोहित गुप्ता ने कहा, "हमने कोविड वैक्सीन लगवाने वाले और न लगवाने वाले 1600 हार्ट अटैक के मरीजों पर अध्ययन किया। हमने पाया कि जिन लोगों ने कोविड वैक्सीन लगवाई है, उनमें न केवल हार्ट अटैक, सभी कारणों से मृत्यु और अचानक मृत्यु की संभावना कम होती है, बल्कि 30 दिन और 6 महीने तक वैक्सीन लगवाने के बाद उन लोगों की मृत्यु की संभावना भी काफी कम हो जाती है।"

    उन्होंने कहा, "कोविड-19 वैक्सीन हानिरहित है और सुरक्षात्मक भूमिका भी निभाती है। यह अध्ययन केवल हमारा नहीं है; ICMR ने भी इसकी पुष्टि की है। हमारे अध्ययन में, हमने कोविड की दोनों वैक्सीन लीं और कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों के लिए समान परिणाम सामने आए।"

    इनपुट- एएनआई।

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