'AI की मदद लेना ठीक लेकिन...' न्यायिक कार्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर न्यायाधीशों की टिप्पणी
जैसलमेर में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, राजस्थान न्यायिक अकादमी और राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित एक सेमिनार में न्यायाधीशों ने कहा कि आर्टिफिशियल ...और पढ़ें

न्यायिक कार्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर न्यायाधीशों की टिप्पणी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) न्यायिक कार्यों में सहयोग कर सकती है लेकिन निर्णय हमेशा इंसानी विवेक, संवैधानिक मूल्यों एवं कानूनी तर्क के दायरे में रहना चाहिए। तकनीक से दक्षता बढ़ सकती है, लेकिन यह न्याय का विकल्प बनने की बजाय केवल माध्यम होना चाहिए।
यह बात राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, राजस्थान न्यायिक अकादमी एवं राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से जैसलमेर में आयोजित सेमिनार में विभिन्न न्यायाधीशों ने कही। कार्यक्रम में न्याय व्यवस्था में एआइ का उपयोग के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई।
AI न्यायिक कार्यों में सहयोग कर सकती है
न्यायाधीशों ने राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के माध्यम से फोरेंसिक क्षमता और तकनीकी कौशल बढ़ाने पर जोर दिया। सेमिनार में सर्वोच्च न्यायालय के आधा दर्जन और गुजरात, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के न्यायाधीश शामिल हुए।
उन्होंने एआइ को मानवीय सोच का स्थान नहीं दिए जाने को लेकर अपना पक्ष रखा। यह दो दिवसीय सेमिनार रविवार को समाप्त हुआ। इसका उद्घाटन सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने किया था।
निर्णय हमेशा इंसानी विवेक से होना चाहिए
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अमानतुल्लाह ने कहा, न्याय व्यवस्था में डिजिटल तकनीक एवं एआइ को अपनाने को लेकर झिझक नहीं है, लेकिन साइबर अपराध के प्रति सचेत रहना चाहिए।
न्यायाधीश एन. कोटिश्वर सिंह ने कहा कि एआइ न्यायिक कार्य में मदद कर सकता है, लेकिन यह मानवीय फैसलों, कानूनी तर्क एवं संवैधानिक मूल्यों से निर्धारित होना चाहिए।
न्यायाधीश विक्रम नाथ ने कहा, तकनीक न्यायपालिका की कार्य क्षमता बढ़ा सकती है, लेकिन यह सेवक की तरह उपयोग में ली जानी चाहिए।

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