'भारत की भाषाई, सांस्कृतिक विविधता AI युग में बड़ी ताकत', लैब टू इम्पैक्ट कार्यक्रम में बोले धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत की भाषाई और सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता एआइ के युग में एक ताकत है। उन्होंने 'लैब टू इम्पैक्ट' का ...और पढ़ें

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि भारत की भाषाई और सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के युग में एक ताकत है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि में यहां विकसित समाधान अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे अन्य क्षेत्रों को भी लाभ पहुंचा सकते हैं। मंत्री ने प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय परिवर्तन का एक स्ट्रैटेजिक ड्राइवर बताते हुए कहा कि अनुमान है कि एआइ 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 1.7 ट्रिलियन अमेरिकी डालर जोड़ सकता है।
प्रधान ने 'लैब टू इम्पैक्ट' कार्यक्रम में कहा- ''एआइ केवल आर्थिक मूल्य के बारे में ही नहीं है, यह राष्ट्रीय क्षमता के बारे में भी है कि क्या हम प्रौद्योगिकी का निर्माण करते हैं या केवल इसका उपभोग करते हैं।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत उधार के विचारों पर नहीं बनाया जा सकता, इसे मौलिक अनुसंधान और संस्थागत विश्वास पर आधारित होना चाहिए और बड़े पैमाने पर समस्याओं को हल करने की क्षमता होनी चाहिए। उभरती प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में मेक इन इंडिया का अर्थ है कि डाटा, भाषा और अनुसंधान प्राथमिकताएं भारतीय वास्तविकताओं पर आधारित हैं।
प्रधान ने कहा, 'भारत की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक विविधता अक्सर एक चुनौती के रूप में वर्णित की जाती है, लेकिन एआइ के संदर्भ में देखा जाए तो यह एक ताकत है। जब एआइ प्रणाली भारत के लिए काम कर सकती हैं तो वे विश्व के लिए भी काम कर सकती हैं।'
उन्होंने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी निर्माता के रूप में विकसित हो रहा है और भारतीय किसानों, स्वास्थ्यकर्मियों और छात्रों के लिए विकसित समाधान अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में अपनाए जा सकते हैं।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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