Agni-5 Missile: MIRV तकनीक से लैस है अग्नि-5 मिसाइल, दुश्मन के कई ठिकानों को बनाया जा सकेगा निशाना
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत ने सोमवार को मिशन दिव्यास्त्र के तहत एमआइआरवी तकनीक से लैस स्वदेश निर्मित मिसाइल अग्नि-5 का सफल प्रक्षेपण परीक्षण किया। यह ऐसी तकनीक है कि एक मिसाइल अलग-अलग स्थानों के विभिन्न युद्ध क्षेत्रों को लक्ष्य बना सकती है। इस प्रणाली की खासियत है कि यह स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता वाले सेंसरों से लैस है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत उन गिन-चुने देशों में शामिल हो गया है कि जिनके पास मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक आधारित मिसाइल सिस्टम है। सोमवार को भारत ने 'मिशन दिव्यास्त्र' के तहत एमआईआरवी तकनीक से सुसज्जित अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। एमआईआरवी तकनीक के जरिये दुश्मन के कई ठिकानों को एक मिसाइल से निशाना बनाया जा सकता है।
इस प्रौद्योगिकी से सुसज्जित अग्नि-5 मिसाइल के जरिये परमाणु हथियारों को दुश्मन के कई चयनित ठिकानों पर सटीक तरीके से दागा जा सकता है। अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के पास यह प्रौद्योगिकी थी।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि एमआईआरवी तकनीक वाली इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सभी मानकों को पूरा किया। इस मिशन की परियोजना निदेशक एक महिला विज्ञानी हैं और इस परियोजना में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।
Indigenously developed Agni-5 missile with Multiple Independently Targetable Re-Entry Vehicle ( MIRV) technology successful tested as part of Mission Divyastra today https://t.co/6NVZgWoZ4z pic.twitter.com/zsotqZtLUq
— DRDO (@DRDO_India) March 11, 2024
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लगा है स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम
मआईआरवी ऐसी तकनीक है जिसमें मिसाइल प्रणाली में कई परमाणु आयुध होते हैं जो एक बार में कई लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं या कई आयुधों से एक लक्ष्य को भेद सकते हैं। इसकी खासियत है कि यह स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता वाले सेंसरों से लैस है। ये सुनिश्चित करते हैं कि री-एंट्री व्हीकल सटीक लक्ष्यों पर पहुंचे। इसे भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता का प्रतीक माना जा रहा है।
5,000 किलोमीटर है मारक क्षमता
अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता पांच हजार किलोमीटर है और इसे देश की दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है। इस मिसाइल की जद में चीन के उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरा एशिया है। भारत पहले ही अग्नि-5 के कई परीक्षण कर चुका है, लेकिन पहली बार उसने एमआईआरवी तकनीक के साथ इसका परीक्षण किया है।
अग्नि-1 से अग्नि-4 तक की मिसाइलों की रेंज 700 किलोमीटर से 3,500 किलोमीटर तक है और उन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है। गौरतलब है कि भारत पृथ्वी की वायुमंडलीय सीमाओं के भीतर और बाहर दुश्मन देशों की बैलिस्टिक मिसाइल को भेदने की क्षमताएं विकसित कर रहा है।
जरूरत के मुताबिक हो सकेगा हथियारों का इस्तेमाल
विशेषज्ञों के मुताबिक, एमआईआरवी तकनीक की मदद से जितनी जरूरत हो, उसी के मुताबिक हथियारों का इस्तेमाल करना आसान होगा। मसलन, अगर किसी दुश्मन देश के एक शहर के एक हिस्से को लक्ष्य बनाना है तो उसके आकार के हिसाब से ही हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। साथ ही कई जगहों पर एक ही मिसाइल से हमला करना संभव होगा। इसकी शुरुआत पिछली सदी के सातवें दशक में शीत युद्ध के दौरान हुई थी। तब अमेरिका और रूस के बीच परमाणु युद्ध की संभावनाएं बन रही थीं, तब दोनों देशों ने एमआईआरवी प्रोजेक्ट शुरू किया था ताकि एक दूसरे के कई ठिकानों पर एक साथ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जा सके।
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पाकिस्तान ने 2017 में किया था दावा
वर्ष 2017 में पाकिस्तान ने भी 'अबदील' नामक मिसाइल का परीक्षण किया था और दावा किया था कि यह एमआरआरवी तकनीक पर आधारित है। पाकिस्तानी सेना ने इस मिसाइल का दोबारा परीक्षण अक्टूबर, 2023 में किया था।
राष्ट्रपति व रक्षा मंत्री ने दी बधाई
इस सफलता पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि स्वदेश में विकसित अत्याधुनिक तकनीक भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक मजबूत कदम है। मिशन दिव्यास्त्र के तहत अग्नि-5 का परीक्षण भारत की अधिक भू-रणनीतिक भूमिका और क्षमताओं की दिशा में एक बेहद महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है। इस असाधारण सफलता के लिए डीआरडीओ के विज्ञानियों और पूरी टीम को बधाई। भारत को उन पर गर्व है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक से लैस यह मिसाइल रक्षा क्षमताओं में प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को आगे बढ़ाएगी।
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