अटॉर्नी जनरल ने आकाओं को खुश करने को दी ऐसी राय: कांग्रेस
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष पद के मुद्दे पर अटॉनी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी की राय से कांग्रेस तिलमिला गई है। रोहतगी की राय में इस पद के लिए कांग्रेस का कोई दावा नहीं बनता है। इस पर कांग्रेस ने उन पर निशाना साधते हुए कहा है कि उनकी इस राय का मकसद राजनीतिक आकाओं को खुश करना है। विपक्षी पार्टी ने यह भ
नई दिल्ली। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष पद के मुद्दे पर अटॉनी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी की राय से कांग्रेस तिलमिला गई है। रोहतगी की राय में इस पद के लिए कांग्रेस का कोई दावा नहीं बनता है। इस पर कांग्रेस ने उन पर निशाना साधते हुए कहा है कि उनकी इस राय का मकसद राजनीतिक आकाओं को खुश करना है। विपक्षी पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि यह पद उसे नहीं देने के लिए सरकार लोकसभा अध्यक्ष पर दबाव डाल रही है। कांग्रेस ने यह पद नहीं मिलने पर अदालत का दरवाजा खटखटाने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया है।
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'एजी की राय का महत्व महज वह कागज नहीं है जिस पर यह लिखा गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एजी ने अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए राय दी है। एजी सिर्फ एक झगड़ालू सरकार की अस्पष्ट पक्षपात पूर्ण रवैये का समर्थन कर रहे हैं।' शर्मा ने कहा कि वह नहीं जानते कि एजी ने नेता प्रतिपक्ष पद के संदर्भ में किस कानून का हवाला दिया है। एजी से अपेक्षा की जाती है कि उसे कानून और अधिनियम की बेहतर समझ होगी न कि वह अपने पद की मर्यादा कम करे। ज्ञातव्य है कि नेता प्रतिपक्ष पद पाने के कांग्रेस के दावे को एक बड़ा झटका देते हुए एजी ने अपनी राय में कहा है कि पार्टी के पास इस पद पर दावा करने का कोई आधार नहीं है। पहली लोकसभा के गठन के समय से ही कांग्रेस के दावे को मजबूती देने वाला कोई उदाहरण नहीं है।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एजी से इस मुद्दे पर राय मांगी थी जिसके बाद उन्होंने अपनी इस राय से उन्हें अवगत करा दिया है। शर्मा ने इस मुद्दे पर सरकार द्वारा महाजन पर दबाव बनाने का भी आरोप लगाया। इसके बावजूद उन्होंने उनसे इस मुद्दे पर न्यायपूर्ण फैसला लेने का आग्रह किया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पद कांग्रेस को नहीं मिलने पर अदालत का दरवाजा खटखटाने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया। शर्मा ने कहा कि वर्ष 1977 में नेता प्रतिपक्ष के लिए कानून पास हुआ 2003 में इसमें संशोधन हुआ। उसमें स्पष्ट कहा गया है कि विपक्ष की सबसे अधिक सदस्यों वाली पार्टी को नेता प्रतिपक्ष पद मिलना चाहिए।
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